अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस –

नारी है शक्ति, नारी है ज्योति,
नारी बिना ये दुनिया है खोती।
ममता की मूरत, प्रेम की गंगा,
हर दुख-दर्द में बनती है संगा।
त्याग की मूरत, धैर्य की पहचान,
हर मुश्किल में रखती है मान।
सहनशीलता उसकी पहचान,
हर रिश्ते को देती है जान।
कभी है बेटी, कभी है मां,
कभी बहन तो कभी दुल्हन की शान।
हर रूप में प्रेम बरसाती,
अपनों के लिए हर दुख सह जाती।
● बच्चों को संस्कारित करने में महिलाओं की अहम भूमिका- यशोदा
(ललितपुर) संविलियन उच्च प्राथमिक विद्यालय डुलावन में अध्यापन कार्य कर रहीं अनुदेशक यशोदा का कहना है कि महिलाएं दुनिया की आधी आबादी का हिस्सा हैं।वे किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं।समाज की प्रगति में जितना बड़ा योगदान पुरुषों का है,उतना ही महिलाओं का भी है। बच्चों को नैतिक शिक्षा के संस्कारों के साथ बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में कला के माध्यम से भी संस्कारित किया जा रहा है। विद्यालय के बच्चों को कला के माध्यम से रंगोली,पेंटिंग,क्राफ्ट सामग्री बनाना सिखा रही हैं।उनका कहना है कि बच्चों को कला के क्षेत्र में अग्रणी कर रही हूँ, जिससे वह विद्यालय, गांव, माता-पिता का नाम रोशन करें।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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