ललितपुरविश्व पर्यावरण दिवस

● “सासें हो रही कम,आओ वृक्ष लगाये हम” – ● प्रकृति के अनुपम उपहार हैं वृक्ष-

प्रकाशनार्थ आलेख-

(05 जून विश्व पर्यावरण दिवस )

प्रस्तुति-शिक्षक पुष्पेंद्र कुमार जैन
सिविल लाइन, ललितपुर(उ०प्र०)

पर्यावरण के बिना मानव का अस्तित्व संभव नहीं है।आज पर्यावरण के प्रति बढ़ते खतरों को रोकने के लिए और इसे सुरक्षित रखने के लिए और जन समुदाय में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व भर में पर्यावरण और प्रकृति के सम्मान के लिए विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को लोगों के द्वारा उत्साह पूर्वक मनाया जाता है।संपूर्ण विश्व पर्यावरण दिवस मना रहा है।विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में उत्साह के साथ मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु वर्ष 1972 में की थी।पहला विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 1974 को मनाया गया था।इसमें अनेक सरकारी सामाजिक व्यवसाय पर्यावरण की सुरक्षा और समस्या संबंधी विषयों पर चर्चा करते हैं। मौजूदा समय में मानव जाति द्वारा प्रकृति के नियमों का उल्लंघन,अति विलासता का ही परिणाम है कि एक अदृश्य विनाश ने सम्पूर्ण दुनिया की प्रगति पर विराम लगा दिया है। लाखों लोग बेरोजगार हो गये हैं।इस बीमारी के पीछे हमारी धन लिप्सा
,प्रकृति के साथ अन्याय एवं विकास का विकृत मॉडल अपनाकर प्रकृति के साथ अन्याय करना ही है।यदि प्राकृतिक पर्यावरण जल,जंगल और जमीन के साथ दुर्व्यवहार किया तो हमें दुष्परिणाम भुगतने को तैयार रहना होगा।अब समय आ गया है कि हम सभी विश्व स्तर पर पर्यावरण के प्रति “व्यवहार परिवर्तन”की पद्धति को लोगों में जागृत करें।हमें सोचना चाहिए कि इंसानों के लालच के कारण सामने आया प्रकृति का क्रोध(प्रदूषण) कैसे शांत हो।ताकि प्रकृति से अनमोल रिश्ता जुड़ा रहे। पृथ्वी के लगातार शोषण और लालच ने मनुष्य को स्वस्थ पर्यावरण से दूर कर प्रदूषण की अंधी आंधी में धकेल दिया है। हम सभी “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना को भूल चुके हैं।पृथ्वी पर स्थित एक कोशीय प्राणी से लेकर बहु कोशीय प्राणियों को उसी प्रकार जीने का अधिकार है जिस प्रकार सभ्य एवं सुशिक्षित मनुष्य के लिए। विश्व के सभी जीवों का पालन- पोषण का कार्य यह पर्यावरण पृथ्वी का दायित्व है। प्रकृति ने हमें सदैव प्रकृति का सम्मान करने की शिक्षा दी है। लेकिन इतिहास के किसी मोड़ पर हम उनके दिखाए मार्ग से हट गये।हमने अपने विवेक का परित्याग कर दिया है।अब महामारियों और असामान्य मौसमी सभी घटनाएं आम होती जा रही हैं।अब समय आ गया है कि हम थोड़ा ठहर कर विचार करें कि हम कहां भटक गए हैं। पर्यावरण के समक्ष हम सभी बराबर हैं।बसुधैव कुटुंबकम का सद् विचार संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानता है।यह कथन आज के संदर्भ में कितना सार्थक है उतना पहले कभी नहीं रहा। आज प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से गहराई से जुड़ा है। हम पर्यावरण में तभी तक सुरक्षित हैं जब तक हम दूसरों का ख्याल रखते हैं।हमें केवल मनुष्यों का नहीं अपितु पेड़ -पौधों और पशु-पक्षियों की सुरक्षा भी करनी है। वर्तमान समय में वृक्षों से मिलने वाली आक्सीजन की कीमत भी समझ में आ गई है।प्राणवायु हमें वृक्षों से ही मिलती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है। तभी हम प्रदूषण मुक्त विश्व की कामना कर सकेंगे और कहेंगे कि”सर्वे भवंतु सुखिनः,सर्वे संतु निरामया अर्थात् विश्व के समस्त प्राणी सुखी हों एवं विश्व के समस्त प्राणी निरोगी रहकर सुंदर,स्वस्थ, निरोगी जीवन को प्राप्त कर मानव का  कल्याण करें और अपना कल्याण करें।तभी विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की सार्थकता सिद्ध कर सकेंगे।विश्व पर्यावरण दिवस यानी प्रकृति हमें पुनः स्मरण कराना चाहती है कि हम पूरी विनम्रता,मनुष्यता,अहिंसात्मक गुणों के साथ समानता, परस्पर निर्भरता के मूलभूत जीवन मूल्यों को स्वीकार करें।जलवायु संकट जैसी वैश्विक चुनौतियों, सुंदर भविष्य के निर्माण में हम विश्व के नागरिकों को परस्पर सहयोग की भावना को विकसित करना होगा तभी यह विश्व सत्यम्,शिवम् और सुंदरम की कल्पना को सार्थक कर सकेगा।अब समय आ गया है कि प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय प्रोग्राम होना चाहिए जिसमें हर वर्ग के लोगों को भागीदारी करनी चाहिए। दुनिया में 50 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण अपना जीवन खो चुके हैं।प्रदूषित जल से भी लाखों लोग मर रहें हैं।हमें प्रकृति से सबक लेना चाहिए और विश्व के नेताओं को विकास की एक सीमा रेखा तय करना चाहिए और गंभीरता से विचार करना चाहिए कि हम सबको मिलकर प्रकृति,विकास और पर्यावरण की एक लक्ष्मण रेखा खींच देना चाहिए।अब इससे आगे हम अब नहीं बढ़ेगें। तभी हमारी नदियां निर्मल और स्वच्छ होकर बहेंगीं।जब हमारी प्रकृति हरी-भरी होगी तभी कोरोना जैसी महामारी विश्व से दूर होगी। सुंदर-सुखद समाज की रचना होगी।हमें इस पर्यावरण दिवस पर अपनी कार्यशैली और योजना दोनों पर तेजी से काम करना होगा।उद्योग धंधों को इस प्रकार विकसित करें कि कार्बन का कम से कम उत्सर्जन हो और अपशिष्ट कम से कम नदियों में बहाए जाएं।बिजली ऊर्जा ऐसे स्रोतों से प्राप्त हो जिससे प्रदूषण कम हो। अब समय आ गया है कि हम धरती पर विकास बनाम विनाश का भार कम करें और आज के दिन अपनी आकांक्षाओं को कम करने की प्रतिज्ञा करें।ताकि सम्पूर्ण विश्व खिलखिलाती प्रकृति,अठखेलियाँ धरती मां को देखें और उसकी गोद में पावन आनंद का अनुभव करें।वर्तमान समय को यदि पॉलीथीन अथवा प्लास्टिक युग के नाम से जाना जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि सम्पूर्ण विश्व में यह पॉलीथिन अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान बना चुका है और दुनिया के सभी देश इससे निर्मित वस्तुओं का किसी न किसी रूप में प्रयोग कर रहे हैं। सोचनीय विषय यह है कि सभी इसके दुष्प्रभावों से अनभिज्ञ हैं या जानते हुए भी अनभिज्ञ बने जा रहे हैं। पॉलीथीन एक प्रकार का जहर है जो पूरे पर्यावरण को नष्ट कर देगा और भविष्य में हम यदि इससे छुटकारा पाना चाहेंगे तो हम अपने को काफी पीछे पाएँगे और तब तक सम्पूर्ण पर्यावरण इससे दूषित हो चुका होगा।आज वर्तमान समय में आवश्यकता है प्लास्टिक प्रदूषण को दूर करने की।पालीथीन का उपयोग बंद करने तभी हमारा विश्व पर्यावरण दिवस मनाना सार्थक होगा।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand

Share this post to -

Related Articles

Back to top button