विश्व जनसंख्या दिवस/ विशेष बढ़ती जनसंख्या और सिकुड़ते संसाधन के अनुपात में असंतुलन का समाधान बेहद जरूरी

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अपने देश का संविधान प्रत्येक स्त्री-पुरुष को मानवोचित गरिमा के साथ स्वाभिमानपूर्वक जीवन जीने की गारंटी देता है । किन्तु एक हजार पोस्टों पर जब एक लाख बेरोजगार आवेदन करेंगे तब मात्र आंकिक – आंशिक अधूरे मूल्यांकन के आधार पर बहुसंख्यक बेरोजगारों को रिजेक्ट करते जाना सरासर अन्याय है ।
भारतीय संस्कृति भोग भोगने में यकीन नहीं रखती । भारतभूमि सादा जीवन और उच्च विचारों से परिपूर्ण है । भगवान राम के राज्य में ” कोऊ नही अबुध न लक्षण हीना ” थे । जिसका आशय है कि सभी हुनरमंद और प्रबुद्ध थे । साथ ही ‘ वस्तु विनगथ पाईये ‘ के हिसाब से बाजार में चीजें मुफ्त में यानि लागत मात्र पर उपभोक्ताओं को सुलभ थीं । बाजार और मंडियां लाभ हानि के अड्डे नहीं थे ।
आज जनसंख्या विस्फोट कुछ समय बाद डेढ़ अरब आबादी की ओर पहुंच रहा है । असंगठित क्षेत्र के ग्रामीण और शहरी बेरोजगारों की दयनीय दशा कहाँ से कहाँ पहुंच गई है । मजदूरों को कार्यक्षमता के अनुसार श्रमिकों को नियोक्ता की शर्तों पर काम करने को मन मार के राजी होना पड़ रहा है। अब इसे भी कानून बनाकर हमें हर हालत में दो संतान वाले परिवार तक का कानून बनाना होगा और उसकी प्रभावी तामीली भी अमल में लानी होगी । तदर्थवादी रीं-रीं करते रहने की हठधर्मिता को छोड़ना होगा । इसमें भारतीय संविधान में स्त्री-पुरुष के लैंगिग भेदभाव का कोई स्थाऩ नहीं है । कानून बन जाने से यदि माता-पिता दो ही पुत्रियों को जन्म देते हैं और वयस्क होने पर जब दोनों को रोजगार की गारंटी होगी तो निम्न मध्यम वर्ग पुत्रमोह के कारण भीतर से न तो दुखी होगें और न ही कुंठित ।
कुछ वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने छोटे परिवार को देशप्रेम का पर्याय कहा था । फलस्वरूप विभिन्न प्रदेशों में जनसंख्या को सीमित करने की लहर चली थी । उ. प्र. के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सक्रियता से उ. प्र. राज्य विधि आयोग का गठन हुआ । जिसकी रिपोर्ट भी प्राप्त हो चुकी है । आशा है सभी राजनैतिक दल ऊँच-नीच , सम्प्रदायवाद एवं जात-पांत के पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर जन-जन में आमसहमति बनाने का अलख जगायेंगे ।
नि:सन्देह बेरोकटोक बढ़ती जनसंख्या हमारी बुद्धिमत्ता और निर्णयात्मक क्षमता के लिए अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है । जनता को प्रदूषण , खराब सेहत , बेरोजगारी , अशिक्षा और इन समस्याओं से उत्पन्न सभी अनुसांगिक समस्याओं पर समयबद्धता के साथ परिणामप्रद लगाम लगाना ही कर्ताधर्ताओं की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए ।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand
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