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सवा पांच करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने बनाये 15 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण।

ललितपुर- सवा पांच करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण एवं श्री रूद्रमहायज्ञ आयोजन में बुधवार को श्रद्धालुओं ने 15 लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया।प्रातःकालीन बेला में  श्रीरूद्रमहायज्ञ का पीठ पूजन व पंचांग पूजन,वैदिक विद्वानों द्धारा किया गया।
वहीं अपराह्न में पार्थिव शिवलिंग का पूजन व महारूद्राभिषेक किया गया।पार्थिव शिवलिंग का पूजन व महारूद्राभिषेक प्रधान यजमान हरिशंकर साहू  सहित अन्य सह यजमान ने किया। श्रद्धालुओं को श्री शिवमहापुराण की कथा सुनाते हुए अनंतविभूषित चंडीपीठाधीश्वराचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी चन्द्रेश्वर गिरि महाराज जी ने कहाकि  जीवन में दो चीजें यथावत रहती हैं और वह है – प्रकाश और अंधकार। मानव में स्पर्धा के भाव होने चाहिए, क्योंकि बिना स्पर्धा के विकास सम्भव नहीं है। जीवन युद्ध में, वर्तमान संदर्भ में धर्म अर्थ की सार्थकता के चलते मनोजय आवश्यक है। बिना मनोजय के संसार को जीतना आसान नहीं। क्लेश की आग में तप रहा मानव यदि चाहता है कि वह सदा सुखी रहे, तो उसे जितेन्द्रिय बनना होगा। अतः सुख, शान्ति एवं समृद्धि पाने के लिए प्रकाश का ध्यान करें। प्रकाश हमारे जीवन की स्वाभाविक मांग है। प्रकाश से जीवन के सभी यथार्थ व अर्थ प्रकट होते हैं। जिसमें सबसे प्रथम गुरु की मांग होती है। गुरु वह है जो बोध करवाता है। गुरु के माध्यम से जीवन में अंक व आखर से लेकर सदाचार, लोकाचार, कष्टों का निवारण, भ्रम, भय व अंधकार दूर होते हैं। प्रकाश के बिना मानव अपने को जान नहीं सकता। प्रकाश और अंधकार के बीच की दूरी ही दुःख, निराशा और तनाव है। आप ज्यों ही प्रकाश के निकट उसकी सुरक्षा में चले जाते हैं तो उस अभेद, कभी न टूटने वाला सुरक्षा में दुःख एवं तनाव की कोई जगह नहीं होती। यह कोई मायने नहीं रखता कि आप कितने अकेले हैं। आप सर्वदा एक दिव्य प्रकाश के द्वारा चारो तरफ से घिरे हुए एवं सुरक्षित हैं। अतः यह आप पर निर्भर करता है कि आप उस दिव्य प्रकाश को अपने अंदर आने देते हैं या नहीं। पूज्य “आचार्यश्री” जी ने कहा – वास्तव में परमात्मा ने मानवीय अन्तःकरण में ज्योति के रूप में ही प्रचुरता से भरा एक दिव्य प्रकाश पुंज प्रज्वलित किया है। वह प्रकाश पुंज अनन्त प्रचुरता से भरा है और वहाँ कभी कुछ भी नहीं घटता। अँधेरे में उस प्रकाश की खोज करना ही ध्यान प्रक्रिया है। वह परम प्रकाश आपके अंतर में सदा सर्वदा प्रस्तुत है। अंधकार के इस आंतरिक मार्ग के चरम सीमा पर उस परम प्रकाश के समीप पहुँचकर जीवन का सर्वोतम संगीत अनुभूत किया जा सकता है। प्रकाश के सहारे आप जीवन में जो चाहें वही पा सकते हैं। इसकी कोई सीमा नहीं है। सत्य और सुन्दर जीवन जीने के लिए बस एक बात के प्रति दृढ़ता पूर्वक खड़े रहना होगा कि एक दिव्य प्रकाश सभी मनुष्यों में विद्यमान है और सब में वह एक ही समाया हुआ है, दूसरा कोई नहीं। उस प्रकाश में एक प्रबल आकर्षण शक्ति है। जैसे सूर्य किसी को अपने प्रकाश से वंचित नहीं करता, परन्तु मनुष्य को प्रकाश की प्राप्ति के लिए कर्म करना पड़ता है। वैसे ही परम प्रकाश जो परम सत्य है उसको प्राप्त करने के लिए उस परम सत्य तक पहुँचना पड़ता है। परम सत्य तो अपना प्रकाश सबको एक सामान देता है, परन्तु मनुष्य वो कर्म  करना भूल जाता है। उस परमपिता को याद करना भी तो एक कर्म है और जो व्यक्ति इस बात को समझ जाए वो कभी भी परम प्रकाश से वंचित नहीं रह सकता।श्रीशिवमहापुराण की महाआरती डाॅ अनूप श्रीवास्तव,डाॅ रानी श्रीवास्तव,गिरीश खरे ने किया।कार्यक्रम में सरदार बी के सिंह,प्रेस क्लब अध्यक्ष राजीव बबेले,ज्योति कल्पनीत सिंह,अनूप मोदी,संदीप तिवारी,राहुल शुक्ला,अश्विनी पुरोहित,प्रकाश नारायण श्रीवास्तव,लक्ष्मीनारायण साहू,संतोष साहू,बाबा हीरानंद गिरी ,बाबा पातालेश्वर गिरी,मनीष झां,राजू जांगिड,आदि उपस्थित रहें।
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आज से होगी श्रीरामकथा
सवा पांच करोड़ पार्थिव शिवलिंग निर्माण आयोजन में गुरूवार से श्री रामकथा का आयोजन किया जा रहा हैं।श्रीरामकथा के कथाव्यास श्रीचन्द्रभूषण पाठक के श्रीमुख से होगी।कथा यजमान सौरभ गंधर्व लोधी हैं

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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