मंथरा ने भरे कान , कैकेयी ने मांगे दो वरदान राम वनगमन की लीला देखकर भावविभोर हुये दर्शक,

महरौनी,ललितपुर-
श्री रामयश कीर्तन मंडली के तत्वाधान में चल रहे 88 वें रामलीला महोत्सव के अंतर्गत छठवें दिवस श्रीराम वनगमन की लीला का मंचन किया गया, जिसे देखकर दर्शक भावविभोर हो गये।
लीलामंचन से पूर्व प्रतिदिन के आरतीकर्ताओं के क्रम में रीतेश बडौनियां, रमेश पांडेय, शिवप्रकाश पुरोहित, विनोद रजक शिक्षक,राजबहादुर सिंह पप्पू राजा,गणेश प्रसाद साहू, पुरुषोत्तम प्रजापति, राजेश रिछारिया, बाबूलाल सोनी, मयंक नायक ने भगवान की आरती उतारी। लीला मंचन में बतौर विशिष्ट अतिथि पुलिस क्षेत्राधिकारी आशीष मिश्रा एवं कोतवाली प्रभारी राजा दिनेश सिंह रहे। सीओ महरौनी ने रामलीला महोत्सव के कुशल मंचन के लिए मंडली के सभी पदाधिकारियों और कलाकारों को बधाई देते हुये महोत्सव के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाये ज्ञापित की।
लीला मंचन के प्रथम दृश्य में राजा दशरथ अपने दरबार में उपस्थित सभी सभासदों के समक्ष अपने बडे पुत्र श्रीराम को युवराज पद देने का प्रस्ताव रखते हैं जिस पर गुरु वशिष्ठ सहित सभी सभासद सहर्ष अपनी सहमति प्रदान करते हैं।
अवध में राम राज्याभिषेक की तैयारियों के बीच अचानक कुबडी दासी मंथरा ने तरह तरह से रानी कैकेयी के कान भरे और रानी उसकी बातों में आ जाती हैं ।
अगले दृश्य में रानी कैकयी राजसी वस्त्र त्यागकर कोपभवन में चली जाती हैं।
जब राजा दशरथ को इस बात का पता चलता है तो वह रानी से इस का कारण पूँछते हैं और रानी उनको राम की शपथ देकर हठपूर्वक उनसे पूर्व में दिये दो वर मांगती हैं ,जिनमें भरत को राजगद्दी और राम को चौदह वर्ष का वनवास मांगती हैं।
यह सुनकर राजा दशरथ करुण विलाप करते हैं और रानी को समझाने का प्रयास करते हैं लेकिन रानी की हठधर्मिता के आगे उनकी एक भी नही चलती है। राजा दशरथ हृदय विदीर्ण करने वाला विलाप करते हैं।
जब राम को अपने पिता की इस मनोदशा का पता चलता है तो वह वन जाने के लिये सहर्ष तैयार हो जाते हैं।
यह सुनकर पतिधर्म निभाने के लिये सीताजी और भ्रातृ प्रेम के वशीभूत होकर लक्ष्मण भी राम के साथ वल्कल वस्त्र धारण कर वनगमन के लिये अपनी माताओं और पिता की आज्ञा लेते हैं।
राम राम कहकर विलाप करते दशरथ को मूर्छित अवस्था में छोडकर राम लक्ष्मण और सीता वन जाने के लिये सुमंत के साथ रथ पर सवार होकर निकलते हैं।
वन के रास्ते में पुरवासी उनका रास्ता रोक लेते हैं लेकिन राम जी उनको सोता हुआ छोडकर चुपचाप निकल जाते हैं। यहां छठवें दिवस की लीला को विराम मिलता है।
लीला मंचन में प्रखर मिश्रा, सूर्या नायक , आदर्श उदैनिया, रजनीश रिछारिया, कृष्णकांत नायक, बलराम राय, विनोद कुशवाहा, सूर्यकांत त्रिपाठी, हर्ष तिवारी,अनिल जैन, विक्रम राय, राज सेन,देवांश तिवारी आदि कलाकारों ने सराहनीय अभिनय किया।
महोत्सव को सफल बनाने में बाबूलाल नायक,श्यामस्वरूप पालीबाल ,रामेश्वर रिछारिया,कृष्णस्वरूप पटैरिया,रामेश्वर सोनी,आशाराम तिवारी, महेन्द्र सिंह,दुष्यंत बडौनिया,संजय पांडेय भारत, कुलदीप खरे एड.,जानकी पेंटर ,शैलेन्द्र नायक,हृदयेश गोस्वामी,आनंद त्रिपाठी,हरिहरमोहन तिवारी,अभय दुबे, अमित नायक,सुरेंद्र तिवारी, पवन तिवारी, मुकेश नायक,सोनू पाठक,दिनेश राय, राजू पेंटर, राजबहादुर खरे, अखिलेश सोनी, सुरेश श्रीवास्तव, राजू सेन ,महिपाल सिंह,जितेंद्र , सतेन्द्र पालीबाल,दीपक तिवारी मोना,कल्लू राजा आदि सराहनीय सहयोग दे रहे हैं।
रामलीला महोत्सव में आज
भरत मिलाप और पंचवटी प्रवास की लीला का मंचन होगा।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand
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