श्री रामलीला महोत्सव का हुआ भव्य उद्घाटन, प्रथम दिवस हुआ नारद मोह और रावण दिग्विजय की लीला का मंचन,

महरौनी, ललितपुर ।
श्री रामयश कीर्तन मंडली महरौनी के तत्वावधान में आयोजित 88 वें रामलीला महोत्सव का भव्य उद्घाटन हुआ । उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि एसडीएम रजनीश कुमार , विशिष्ट अतिथि कोतवाली प्रभारी राजा दिनेश सिंह और संरक्षक प्रेमनारायण सोनी एडवोकेट रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर पंचायत अध्यक्ष नीलम दुष्यंत बडौनियां ने की ।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा विधिवत फीता काटकर और गुब्बारे फोड कर महोत्सव का उद्घाटन किया गया। तत्पश्चात अतिथियों के स्वागत सम्मान के उपरांत सभी ने अपने उद्बोधन में रामलीला महोत्सव की सफलता हेतु शुभकामनाये ज्ञापित की। इस अवसर पर एसडीएम महरौनी रजनीश कुमार ने कहा कि नगर में 88 वर्षों से अनवरत जारी रामलीला महोत्सव का आयोजन सराहनीय है, जिससे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का आदर्श अनुकरणीय चरित्र जन जन तक पहुंचाने का पुनीत कार्य मंडली के कलाकार व पदाधिकारी कर रहे हैं।
वहीं नगर पंचायत अध्यक्ष नीलम बडोनिया ने भी आयोजक मंडल को बधाई दी और कहा कि हमारा प्रयास है कि रामलीला महोत्सव को शासकीय आर्थिक मदद मिले और यह सरकारी कार्यक्रम घोषित हो।
श्री गणेश देव और रामायण की आरती के उपरांत मंडली के कलाकारों द्वारा गणपति से पंद्रह दिवसीय इस अनुष्ठान के निर्विघ्न संपन्न होने का वरदान मांगा गया। तत्पश्चात लीला मंचन के प्रथम दृश्य में पार्वती जी को भगवान शिव जी विस्तार पूर्वक श्री रामकथा श्रवण कराते हैं।
अगले दृश्य में नारद मोह प्रसंग के अंतर्गत देवर्षि नारद की तपस्या से इंद्रासन डोल जाता है और देवेन्द्र अपने मित्र कामदेव को रंभा , मेनका , उर्वशी ,गंधर्व और किन्नर के साथ तपस्या भंग करने भेजते हैं लेकिन नारद मुनि कामदेव पर विजय प्राप्त कर लेते हैं, जिससे उनके मन में अभिमान का बीज उत्पन्न हो जाता है।
अपने भक्त नारद का अभिमान दूर करने के लिए श्री हरि विष्णु माया रचते हैं और विश्वमोहिनी का स्वयंवर रचा जाता है, जिसमें शामिल होने गये नारद को भगवान बंदर जैसा रूप दे देते हैं। स्वयंवर सभा में नारद उपहास का पात्र बनते हैं, जिससे कुपित होकर नारद अपने आराध्य विष्णु भगवान को श्राप दे देते हैं लेकिन बाद में वह पश्चाताप करते हुये आत्मग्लानि से भर जाते हैं। तव भगवान विष्णु उनके संताप को दूर करते हुये कहते हैं कि नारद के श्राप में जगत कल्याण निहित है ।
लीला मंचन के अगले दृश्य में रावण, कुंभकरण और विभीषण तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न करते हैं। रावण अमरत्व का वर प्राप्त करता है। कुंभकरण छह माह सोने और एक दिन जागने का, तो वहीं विभीषण हरि भक्ति में लीन रहने का वर मांगते हैं।
लीला मंचन के अगले दृश्य में रावण के आदेश पर उसका पुत्र मेघनाद सभी देवताओं को युद्ध में पराजित कर देता है और रावण उन सभी को लंका के कारावास में डाल देता है, जहां सभी देवगण श्री हरि विष्णु से करुण पुकार करते हैं। यहां प्रथम दिवस की लीला को विराम मिलता है।
लीला मंचन में ओमकार सिंह, हर्ष तिवारी, देवांश तिवारी, महेन्द्र सिंह, अखिलेश सोनी, मनोज भोंडेले, प्रखर मिश्रा, आदर्श उदैनिया, अनुज भौंडेले, अमित नायक , सत्येंद्र भर्ता, पवन तिवारी, सूर्यकांत त्रिपाठी, दीपक तिवारी मोना, पीयूष शुक्ला गोलू, कल्लू राजा, राज सेन, विनोद कुशवाहा,बलराम राय, राजबहादुर खरे, दिव्यांश खरे, अक्ष त्रिपाठी, देव पालीबाल आदि बाल कलाकारों ने सराहनीय अभिनय किया।
महोत्सव को सफल बनाने में पं बाबूलाल नायक , रामेश्वर प्रसाद रिछारिया, श्याम स्वरूप पालीबाल, कृष्णस्वरुप पटैरिया, आशाराम तिवारी, रामेश्वर प्रसाद सोनी, महेन्द्र सिंह राजावत , संजय पाण्डेय भारत, कुलदीप खरे, जानकी पेंटर , सुरेन्द्र तिवारी, अभय दुबे, शैलेन्द्र नायक , आनंद त्रिपाठी, हरिहरमोहन तिवारी, कृष्णकांत नायक , भगवत भौंडेले, दिनेश राय , विक्रम राय ,शिवम खरे, राजू पेंटर , जितेन्द्र पालीबाल , राजू सेन , दिव्यांश धन्तू खरे आदि का सराहनीय सहयोग मिल रहा है।
रामलीला महोत्सव में आज नगर दर्शन और पुष्प वाटिका प्रसंग का मंचन किया जायेगा ।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand
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