
मड़ावरा (ललितपुर)वर्णीनगर मडावरा में संत
शिरोमणि आचार्य श्रेष्ठ 108 विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य श्री समय सागर महाराज के परम यशस्वी तपस्वी शिष्य मुनिश्री प्रबोध सागर,
मुनिश्री शैल सागर, मुनिश्री अचल सागर महाराज के पावन सानिध्य में श्रुत पंचमी पर्व बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कस्बा मडावरा के पुराना बाजार स्थित जैन नया मंदिर से जैन धार्मिक षट्खण्डागम ग्रन्थों को पालकी में विराजमान करके नगर में शोभायात्रा निकाली
गई।शोभायात्रा नगर में भ्रमण करते हुए श्री महावीर विद्याविहार पहुंची। धर्मसभा के पूर्व श्रावक श्रेष्ठियों ने आचार्य श्रेष्ठ विद्यासागर महाराज के चित्र का अनावरण किया एवं जिनवाणी पालकी के श्रुत आराधकों ने दीप प्रज्जवलित किया।बताते चलें आचार्य श्री विद्यासागर संस्कार वर्णी पाठशाला एवं महिला मंडल द्वारा अष्ट द्रव्य सजाई गई एवं पालकी को सजाया गया।पूज्य मुनिश्री ने जिनवाणी पूजन कराया।जिसमें समाज के व्रती,विद्वानों द्वारा स्थापना की गई और समाज गौरव डॉ० विरधीचंद्र जैन,समाज श्रेष्ठी पाठशाला परिवार के अध्यक्ष डॉ० राकेश जैन सिंघई, सुधीर जैन सिंघई,सन्तोष जैन बजाज,साहिल बजाज, नीलेश जैन,मयूराज जैन,शीलचंद्र जैन,आमोद जैन दुकानवाले ने अर्घ्य समर्पित किए।इस दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री प्रबोध सागर ने कहा कि अन्तिम तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष जाने के पश्चात 643 वर्ष तक श्रुत परम्परा यानि सुनने की परम्परा चली आ रही है।जैनाचार्यों ने जब यह अनुभव किया शिष्य वर्ग की स्मरण शक्ति उत्तरोतर क्षीण होती जा रही है। जिनवाणी को कैसे सुरक्षित रखा जाये।इसको लिपिबद्ध होना आवश्यक है।
आचार्य धरसेनाचार्य के मन में श्रुत संरक्षण का विचार आया। आचार्य पुष्पदंत और भूतबली महाराज ने जिनवाणी लेखन प्रारंभ किया पुष्पदंत महाराज ने पांच खण्ड मूल रूप से लिखे और मुनिश्री भूतबली ने छह खण्ड विस्तार से लिखे।इस प्रकार आज के दिन ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी के दिन चतुर्विध संघ सहित कृति क्रम पूर्व महापूजन की गई।इस दिवस को श्रुत पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।श्रुत पंचमी का पर्व श्रुत आराधना का पर्व है।कार्यक्रम का संचालन चेतन ने किया।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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