प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सेवा केंद्र मड़ावरा में महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में निकाली गई शोभायात्रा
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मड़ावरा ललितपुर : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय मड़ावरा सेवा केंद्र में महाशिवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। जिसका शुभारंभ प्रभात फेरी के साथ किया गया है, प्रभातफेरी रनगांव स्थित मोती मंदिर से शुरूआत होकर नगर भ्रमण करते हुए मुख्य स्थान पर पहुंच कर समापन हुआ , प्रभारी फेरी एवं कार्यक्रम में भक्तगणों एवं देविय भ्राता SSI दयाशंकर थाना मड़ावरा , पंडित गुड्डू महाराज, गयाप्रसाद नायक, संतोष नायक, संजय नायक, सुकनपाल, एवं ब्रह्माकुमारीज़ ललितपुर सेवाकेंद्र इंचार्ज आदरणीय राजयोगिनी चित्ररेखा दीदी जी, मंच संचालिका मायारानी दीदी जी ने शिव पूजन एवं ज्योत से ज्योत जलाकर करते हुए किया। आदरणीय राजयोगिनी बीके चित्ररेखा दीदी जी ने सभी को नए भवन की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शांति के सागर दुख-हर्ता, सुख-कर्ता भोलेनाथ परमात्मा के अति सभी प्रिय संतान आज हम सबको परमपिता परमात्मा शिव के ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इस मड़ावरा क्षेत्र को आध्यात्मिक ज्ञान से सींचने के लिए ज्ञान की गंगा जो बह रही है। उसके लिए एक बहुत सुंदर भवन तैयार हुआ है। जहां आकर जिसमें बैठकर सभी मानव आत्माएं अपने आध्यात्मिक ज्ञान की प्यास को बुझा सकेंगे। अपने जीवन को ज्ञान में स्नान करके मन को शुद्ध और पवित्र बना सकेंगे। ऐसा स्थान बनकर तैयार हुआ है। जहां पर आज हम सभी बैठे है। आप सभी यहां आकर आध्यात्मिक ज्ञान को सुनकर, समझकर, इसका मनन चिंतन करके। अपने जीवन को बहुत सुख शांति और आनंद से भरपूर कर सकेंगे।यह बड़े सौभाग्य की बात है। आज हम सभी महाशिवरात्रि के महान पर्व को यहां मना रहे हैं। महाशिवरात्रि पर्व तो हम प्रतिवर्ष ही मानते है। हर वर्ष हम शिव का व्रत रखते है, उनका पूजन करते है, अभिषेक करते है, रात्रि जागरण करते है और भजन-कीर्तन गाकर अपनी श्रद्धा भावना शिव को समर्पित करते है। तो आज ऐसा कौन सा नवीन कार्य हो रहा है? वह तो हम प्रतिवर्ष मानते है? क्यों यहां संपूर्ण सृष्टि दुख, अशांति, चिंता, रोग, शोक, समस्या से त्रस्त हो चुकी है। जहां मानवीय जीवन अनेक प्रकार की समस्याओं के बीच में जिया जा रहा है। उसे सुख,शांति से भरपूर करते है, इसलिए त्रिमूर्ति शब्द को विशेष ले रहे है। वह प्रकाश पुंज स्वरूप है। जो सृष्टि रूपी वृक्ष का बीज रूप है। वह सर्वप्रथम तीन देवताओं की उत्पत्ति करते है। *ब्रह्मा, विष्णु और महेश* ब्रह्मा जी के द्वारा दैवी सृष्टि की स्थापना का कार्य करते है। शंकर जी के द्वारा आसुरी सृष्टि का संहार करते है। और आने वाली जो देवी सृष्टि है, जहां नर-नारी का जीवन दिव्य स्वरुप होगा। जहां नर-नारायण के स्वरूप में होंगे, नारी-श्री लक्ष्मी स्वरूप होगी। ऐसी दिव्य सृष्टि का पालन का कार्य विष्णु जी के द्वारा करते है। हम 89 वर्षों से शिव जयंती महोत्सव मना रहे है, क्योंकि सन् 1937 में निराकार परमात्मा ने इस सृष्टि को सुखमय बनाने के लिए धरा पर आए, इसलिए परमात्मा ने मानवीय माध्यम को अपना चुना। तो उनका परिवर्तन रूप प्रजापिता ब्रह्मा पड़ा। इसलिए किसी शायर ने बहुत अच्छी बात कही है कि- *आदम को खुदा मत कहो, आदम खुदा नहीं है, लेकिन खुदाई नूर से आदम जुदा नहीं है* जो परम शक्ति है, भगवान है, जो नूर ए इलाही कहलाता है, अर्थात् जिसे हम प्रकाश पुंज परमात्मा कहते है। वह परमात्मा आदम अर्थात् आदि पुरुष प्रजापिता ब्रह्मा के तन में आते है। सद्गति का रास्ता दिखाते हैं सुखी जीवन जीने की कला को सिखाते है। हम शिवरात्रि क्यों मनाते है। हम बच्चों का जन्मदिन मनाते है। महापुरुषों की जन्म जयंती मनाते है, राम की नवमी मानते है, कृष्ण की जन्माष्टमी मानते है, लेकिन शिव की रात्रि मानते है। तो कलयुग अंत और सतयुग के मध्य संधि काल में जिसे संगम कहा गया है। जब परमात्मा का अवतरण सृष्टि पर होता है। मानवता के कल्याण के लिए मातृशक्ति को आगे रखकर जिम्मेवारी दी कि आपको यह ज्ञान जन-जन तक पहुंचाना है। सभी ने शिव-पार्वती जी की झांकी के दर्शन किए, बच्चों के द्वारा व्यसन मुक्ति नाटक के द्वारा शिक्षा ली एवं व्यसन न करने की प्रतिज्ञा ली। बीके प्रियंका दीदी ने भी सभी को महाशिवरात्रि पर्व की शुभकामनाएं दी। अंत में सभी ने भोग स्वीकार किया। जिसको ज्ञान एवं ज्ञान जल कहा जाता है। जिसमें बीके गीता दीदी, बीके प्रीती दीदी, बीके रुबी दीदी, बीके निशा बहन, बीके शिवानी बहन, उर्मिला बहन लक्ष्मी बहन पुष्पा बहन एवं अनेक भक्तिगण उपस्थित रहे।
*आयोजक- ब्रह्माकुमारीज़ मड़ावरा जिला- ललितपुर*
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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