● त्याग,बलिदान,करूणा व वात्सल्य की मूर्ति है मां- ● दुनिया में सबसे खूबसूरत रिश्ता है मां –

प्रकाशनार्थ आलेख-
(मदर्स डे 11 मई विशेष)-
● त्याग,बलिदान,करूणा व वात्सल्य की मूर्ति है मां-
● दुनिया में सबसे खूबसूरत रिश्ता है मां –
प्रस्तुति- शिक्षक पुष्पेंद्र जैन ललितपुर(उ०प्र०)
मां का प्यार संसार की समस्त वस्तुओं से ऊपर ही रहता है।मां के प्यार, दुलार और समर्पण के प्रति आभार जताने के लिए उम्र भी कम पड़ जाए ऐसे में मदर्स डे मां के प्रति अपना प्यार और सम्मान जताने का एक अद्भुत मौका है। मदर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी। हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।मां और बच्चों का रिश्ता इस दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता है जो बिना किसी शर्त,बिना किसी उम्मीद के बेपनाह प्यार से भरपूर होता है। मां के लिए कोई भी शब्द, कोई भी लेख, कोई भी कविता या कुछ भी लिखना या फिर कहना हर बार कम होता है क्योंकि चाहे कितना ही कुछ क्यों न कर लिया जाए। मां का प्यार सबसे ऊपर ही रहेगा। मां के इस प्यार, दुलार और समर्पण के प्रति आभार जताने के लिए उम्र भी कम पड़ जाए,ऐसे में मदर्स डे मां के प्रति अपना प्यार और सम्मान जताने का एक अद्भुत मौका है। 9 मई 1914 को अमेरिकी प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने एक लॉ पास किया था जिसमें लिखा था कि मई महीने के हर दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाएगा। इसके बाद ही मदर्स डे अमेरिका, भारत और अनेक देशों में मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाने लगा। मदर्स डे मनाने की शुरुआत अमेरिका से हुई थी।अमेरिकन एक्टिविस्ट एना जार्विस अपनी मां से बहुत प्यार करती थीं।उन्होंने न कभी शादी की और न कोई बच्चा पाला,मां की मौत होने के बाद प्यार जताने के लिए उन्होंने इस दिन की शुरुआत की, फिर धीरे-धीरे कई देशों में मदर्स डे मनाया जाने लगा। अब हर साल मई के दूसरे रविवार को दुनिया भर में मदर्स डे मनाया जाता है। मदर्स डे मां के त्याग, बलिदान,करूणा, दया और निःस्वार्थ प्रेम के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है।कई लोग अपनी मां के प्रति प्यार जताने के लिए उन्हें गिफ्ट
कार्ड्स,उपहार भी देते हैं। वैसे तो मां को प्यार करने और तोहफे देने के लिए किसी खास दिन की जरूरत कभी नहीं पड़ती लेकिन फिर भी मदर्स डे के दिन मां को और सम्मान दिया जाता है।मदर्स डे के दिन मां को ढेर सारा प्यार किया जाता है। मदर्स डे हमें मां की ममता और प्यार को बतलाता है।एक मां ही है जो हमारे जीवन को संवारती है।मां के लिए बच्चों के मन में दर्द उठता है।सभी बच्चों को लगता है कि सचमुच वे अपनी मां को बेइंतहा प्यार करते हैं।उनके लिए स्नेह और आदर से दिल भरा हुआ है।मदर्स डे सम्पूर्ण भारत देश में मई माह के दूसरे रविवार को मनाया जाता है।मां शब्द ऐसा शब्द है जो शहद की तरह मिठास का कार्य करता है।समाज में मां का रुप शक्तिशाली और कोमल होता है।वह मां ही होती है जिसकी गोद में बच्चा पहला अक्षर बोलता है-मां।दुनिया में मां सबसे महान नैसर्गिक कलाकार है।रोते बच्चे को हंसाने,
उसको बोलना या चलना सिखाने अथवा रुठने और मनाने में मां का सहज अभिनय प्रकृति की अनुपम देन है।इस अभिनय में मां को किसी कार्यशाला की आवश्यकता नहीं पडती है।मां में यह कला स्वयं ही आ जाती है।बच्चा जब मां की बाहों के झूले में लोरी का मधुर गुंजन सुनता है तो निदियां रानी जल्दी आ जाती है।लोरी के साथ मां स्नेहिल हाथों की हल्की-हल्की थपकी,चेहरे पर लाड-प्यार भरे भावों का प्रदर्शन मीठे स्वर
निंदिया को बुलाने का संदेश देते हैं।मां बच्चों को भरपेट भोजन कराती है वह स्वयं भूखे पेट सो जाती है।मां दुनिया के समस्त दु:खों को सहन करके अपने बच्चों को खुश रखती है।मां इस दुनिया का अनमोल रत्न है।ममता और लाड-
दुलार की कोई भाषा नहीं होती है।बच्चा मां की धडकन में भी मनभावन संगीत सुन लेते हैं।इसीलिए रोता हुआ बच्चा भी मां की गोद में आते ही चुप हो जाता है।विश्व के सभी देशों की गरीब और अमीर मां में एक समान गुण अवश्य पाया जाता है और वह है बच्चे को सुलाने के लिए अपनी-अपनी भाषा में लोरी गुनगुनाना।वर्तमान के युग में बहुत से परिवारों में मां का स्थान दाई या आया ने ले लिया है,भौतिकतावादी चकाचौंध ने मां की लोरी के महत्व को अब कम कर दिया है। वह बच्चे बडे सौभाग्यशाली होते हैं जिनकी मां होती है।वह अपने लिए धन्य मानते हैं।मां गीले विस्तर में सोकर बच्चों को सूखी जगह में सुलाती है।मां ही है जो जीवन की नैया पार लगाती है।मां के ही मार्गदर्शन में हम पढ-
लिखकर अपना कर्तव्य पूर्ण करते हैं।मां ही बच्चे की प्रथम पाठशाला होती है।समाज में मां का रूप सबसे शक्तिशाली और कोमल होता है।मां कभी गाती,कभी कहानियों को सुनाती है।एक मां ही है जो बच्चों के सभी कष्टों को दूर करती है।मातृ दिवस पर हम बेटियों के सम्मान व सुरक्षा का संकल्प लें ताकि आने वाले कल में भावी मां का अभाव न हो सके।मां की महिमा का वर्णन करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं।फिर भी मां के लिए कुछ शब्द कहे हैं-“मां त्याग की प्रतिमूर्ति है।मां मीठी हवा का कोमल अहसास है। मां की महिमा लिखी नहीं जाती।मां में भगवान बसता है।मां ममता का सागर है।मां के लिए बच्चे अमूल्य निधि हैं।रिश्ते तो बहुत होते हैं लेकिन उनमें मां एक है।मां की भूमिका एक चुनौती पूर्ण होती है।मां के उपकारों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।एक मां ही है जो हमें जीवन की सही राह दिखलाने वाली है। मेरी मां ने मुझे अंगुली पकडकर चलना सिखाया और मैं कदम-कदम धीरे-धीरे आगे बढता गया और अपने लक्ष्य की मैंने प्राप्ति कर ली है।मै अपनी मां के चरणों में नमन करता हूं।मदर्स डे पर हमसब मिलकर मां के लिए उपहार स्वरूप संकल्प लें कि हम मां की आंखों में कभी आंसू नहीं आने देंगे।मां की सेवा में सदैव तत्पर रहेंगे।क्योंकि मां ही हमारे जीवन की आधारशिला है।मां ही मेरे जीवन की नौका को पार लगाती है।मां दुनिया से समस्त कष्टों को सहन करके हमें यह जीवन दिया है।मां ही है जिसने हमें अंगुली पकडकर चलना सिखाया और आज सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हैं।मां की ममता अपने बेटे के प्रति अटूट होती है,चाहे बेटा कितना ही बुरा क्यों न हो,लेकिन मां की ममता उसे अपनी ओर खींच लाती है।
कहा भी गया है-
“हर रिश्ते में मिलावट देखी है,
कच्चे रंगों की सजावट देखी है।
लेकिन जब भी देखा है मैंने मां को,
उनके चेहरे पर न थकावट देखी है,
मां ममता और समर्पण की मिसाल होती है।
किस्मत वाले होते हैं जिनकी मां होती है,
मां के बारे में पूछना है तो कोई उनसे पूछे,
जिनको ममता के छाव की तलाश होती है।।
मदर्स डे अवसर पर मैं मां के चरणों में नमन करता हूं।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times Now Bundelkhand