क्षय रोग के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास : पहलवान गुरूदीन में किया गया आयोजन
ललितपुर। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा मूल्यांकित संस्थान पहलवान गुरूदीन प्रशिक्षण महाविद्यालय, पहलवान गुरूदीन काॅलेज ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी और जिला क्षयरोग कार्यालय के संयुक्त तत्वाधान में भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जागरूकता अभियान के अंर्तगत राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम व शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्रांगण में किया गया। शपथ ग्रहण समारोह में जिला क्षयरोग अधिकारी रामनरेश सोनी, पहलवान गुरूदीन ग्रुप आॅफ कालेज के डायरेक्टर डाॅ. सौरभ यादव, प्रशिक्षण महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ. महेश कुमार झा, पहलवान गुरूदीन काॅलेज आॅफ साइंस एण्ड टेक्नोलाॅजी प्राचार्य डाॅ. विनोद यादव, महाविद्यालय के समस्त प्रवक्तागण एवं छात्र/छात्रा उपस्थित रहे। जिला क्षयरोग अधिकारी रामनरेश सोनी ने कहा कि राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम केन्द्रीय प्रायोजित योजना है, जो टीबी मुक्त भारत के विजन के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसमें सभी क्षयरोगियों को निःशुल्क निदान और गुणवत्तापूर्ण आश्वस्त उपचार दिया जाता है। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण उत्पन्न होता है। जो मनुष्यों में सबसे अधिक फेफड़ों को प्रभावित करता है, साथ ही यह अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि, फेफड़ों में होने वाला टीबी सबसे आम प्रकार का होता है। फेफड़ों में होने वाला टीबी खांसी और छींक के द्वारा एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। ट्यूबरकुलोसिस का खतरा उन लोगों को सबसे अधिक होता है, जिन्हें पहले से कोई बड़ी बीमारी जैसे कि एड्स या डायबिटीज आदि होती है। साथ ही, जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है उन्हें भी इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। डायरेक्टर डाॅ. सौरभ यादव ने बताया कि क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य टीबी के कारण होने वाली घटनाओं और मृत्यु दर को कम करना है। दवा प्रतिरोध को रोकना और दवा प्रतिरोध टीबी मामलों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना व एच.आई.वी. संक्रमित टीबी रोगियों के बीच परिणामों में सुधार करना है। भारत सरकार देश में क्षय रोग (टीबी) को 2025 तक समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सभी राज्य अपने ठोस प्रयास कर रहे हैं। फाॅर्मेसी काॅलेज प्राचार्य डाॅ. विनोद यादव ने कहा कि ट्यूबरक्लोसिस का कारण अनेक स्थितियां हो सकती हैं। ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित मरीज जब छींकता, खांसता और थूकता है तो उसके द्वारा छोड़ी गई सांस से वायु में टीबी के बैक्टीरिया फैल जाते हैं। यह बैक्टीरिया कई घंटों तक वायु में जीवित रहते हैं और स्वस्थ व्यक्ति भी आसानी से इसका शिकार बन सकते हैं। ट्यूबरक्लोसिस रोग का कारण अनेक स्थितियां हो सकती हैं। जब टीबी का बैक्टीरिया सांस के माध्यम से फेफड़ों तक जाता है तो वह कई गुना बढ़ जाता है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे बढ़ने से रोकती है, लेकिन जैसे-जैसे यह क्षमता कमजोर होती है, टीबी होने का खतरा बढ़ जाता है। ट्यूबरक्लोसिस कारण पर ध्यान देकर कुछ सावधानियां बरती जायें तो इसका खतरा कम हो सकता है। प्रशिक्षण महाविद्यालय प्राचार्य डाॅ. महेश कुमार झा ने क्षयरोग से बचने के उपायों के बारे मे बताया कि दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित व्यक्ति के पास न जाएं और अगर जाएं तो मास्क अवश्य लगाएं। पीड़ित मरीज के बिस्तर, रुमाल या तौलिया आदि का इस्तेमाल न करें। अगर आपके आस-पास कोई खांस रहा है तो अपने मुंह को रुमाल से ढक लें और वहां से दूर हट जाएं। विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर खाद्य-पदार्थों का सेवन करें, इससे रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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