
ललितपुर।
निरंकारी सतगुरू माता सुदीक्षा जी महाराज जी की असीम कृपा से निरंकारी सत्संग का आयोजन संत निरंकारी शाखा मंडल ललितपुर (रजि.) द्वारा ब्रम्हज्ञानी संत ज्ञान प्रचारक कमल चन्द्र (उरई) के सानिध्य में सन्त निरंकारी सत्संग भवन, प्राथमिक विद्यालय के पास, खिरक़ापुरा बाई पास रोड, ललितपुर में किया गया।
सत्संग में अमृत वचन प्रदान करते हुए ज्ञान प्रचारक महात्मा कमल चन्द्र जी ने कहा कि ‘‘भक्ति वह अवस्था है, जो जीवन को दिव्यता और आनंद से भर देती है। यह न इच्छाओं का सौदा है, न स्वार्थ का माध्यम। सच्ची भक्ति का अर्थ है परमात्मा से गहरा जुड़ाव और निःस्वार्थ प्रेम।‘‘
उन्होंने कहा कि आज समय की सतगुरु सुदीक्षा जी महाराज ब्रह्मज्ञान देकर मानव जीवन को धन्य बना रहीं हैं। भक्ति की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि ब्रह्मज्ञान भक्ति का आधार है। यह जीवन को उत्सव बना देता है। भक्ति का वास्तविक स्वरूप दिखावे से परे और स्वार्थ व लालच से मुक्त होना चाहिए। जैसे दूध में नींबू डालने से वह फट जाता है, वैसे ही भक्ति में लालच और स्वार्थ हो तो वह अपनी पवित्रता खो देती है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान हनुमान जी, मीराबाई और बुद्ध भगवान का भक्ति स्वरूप भले ही अलग था, लेकिन उनका मर्म एक ही था-परमात्मा से अटूट जुड़ाव। भक्ति सेवा, सुमिरन, सत्संग और गान जैसे अनेक रूपों में हो सकती है, लेकिन उसमें निःस्वार्थ प्रेम और समर्पण का भाव होना चाहिए। गृहस्थ जीवन में भी भक्ति संभव है, यदि हर कार्य में परमात्मा का आभास हो।
निरंकारी मिशन का मूल सिद्धांत यही है कि भक्ति परमात्मा के तत्व को जानकर ही सार्थक रूप ले सकती है।
निःसंदेह सतगुरु माता जी के अमूल्य प्रवचनों ने श्रद्धालुओं के जीवन में ब्रह्मज्ञान द्वारा भक्ति का वास्तविक महत्व समझने और उसे अपनाने की प्रेरणा दी।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times Now Bundelkhand