महिला दिवस विशेष : राष्ट्रीय महिला सम्मेलन सम्पन्न नारी शक्ति की सजगता से ही संस्कृति संरक्षण भारतीय संस्कार व संस्कृति रक्षा में नारी का योगदान बेमिसाल विशिष्ट महिला वक्ताओं ने कहा समाज का दर्पण हैं महिलाएं

ललितपुर। प्रागैतिहासिक अतिशय क्षेत्र नवागढ़ में आयोजित अखिल भारतीय महिला सम्मेलन में विभिन्न नगरों से आए हुए महिला मंडलों के माध्यम से वैचारिक मंथन किया गया । नवागढ़ के निर्देशक ब्रह्मचारी जयकुमार निशांत भैया एवं समिति ने नारी शक्ति के उन्नयन एवं सक्रियता को ध्यान में रखते हुए महिला सम्मेलन का आयोजन किया।
कमेटी के प्रचारमंत्री डॉ. सुनील संचय ने बताया कि राष्ट्रीय महिला सम्मेलन में विभिन्न स्थानों के महिला मण्डलों की दो से अधिक पदाधिकारी एवं सदस्य महिलाएं शामिल हुईं। जिसमें धार्मिक अनुष्ठानों में बढ़ता हुआ प्रदर्शन, संस्कार विहीन शिक्षा, युवाओं में धर्म के प्रति अरुचि विषय पर महिलाओं ने खुलकर विचार रखे। सम्मेलन की अध्यक्षता श्रीमती अर्चना जैन सदस्य नीति आयोग भारत सरकार, मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती रश्मि ऋतु एडवोकेट सागर एवं मुख्य वक्ता के रूप में श्रीमती रश्मि गोयल के साथ द्विशताधिक बहनों ने सक्रियता एवं उत्साह पूर्वक उपस्थिति प्रदान की।
स्वयं पर अनुशासन : श्रीमती रश्मि ऋतु एडवोकेट ने अपने विचार रखते हुए कहा आज वर्तमान में धार्मिक अनुष्ठानों को महोत्सव का रूप प्रदान किया जा रहा है, जिसमें भौतिक संसाधनों की चकाचौंध, विशेष डेकोरेशन, ड्रोन, विडियो आदि द्वारा छायांकन एवं अनुष्ठानों में बढ़ता हुआ फैशन विचारणीय है। धार्मिक अनुष्ठानों का मूल आधार अहिंसा एवं वीतरागता होती है। वर्तमान में प्रदर्शन की होड़ में वस्त्रों की शुद्धि, समयबद्धता, अनुशासन एवं अनुष्ठान में सादगी का अभाव दिखाई दे रहा है।
नारी शक्ति का जागरण : श्रीमती रश्मि गोयल ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में कहा वर्तमान में होने वाली विसंगतियों की जिम्मेदारी हमारी है, यदि हम अपने आप को अनुशासित करें तो समाज में भी अनुशासन दिखाई देगा। नारी शक्ति यदि चाहे तो अपने बच्चों में उन संस्कारों का बीजारोपण कर सकती है जो उसके जीवन की दिशा एवं दशा को सुनिश्चित करती है।
सार्थक विचार मंथन : समारोह की अध्यक्षा श्रीमती अर्चना जैन सदस्य नीति आयोग ने कहा नवागढ़ क्षेत्र पर समय-समय पर इस प्रकार के आयोजनों से समाज में होने वाली विकृतियों, भ्रांतियों,रूढ़ियों का निरसन होता रहता है। ब्रह्मचारी निशांत भैया सदैव संस्कृति संरक्षण के लिए समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं ,चाहे वह नवागढ़ गुरुकुलम् हो या नवागढ़ के इतिहास का संरक्षण । आपने आज नारी शक्ति को एकत्रित करके उनमें उत्साह एवं धर्म के प्रति आस्था का जो आयोजन किया है अनुकरणीय है।
हमें स्वयं को बदलना होगा तभी समाज में बदलाव आएगा, अपने बालक बालिकाओं के लिए उत्साहित करना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए, तभी हम संस्कृति का संरक्षण कर पाएंगे ।
इसी श्रृंखला में श्रीमती कामिनी जैन शाहगढ़,श्रीमती आशा जैन बड़ागांव, श्रीमती प्रीति जैन मैनवार, श्रीमती अर्चना जैन पम्मी बरायठा आदि ने भी अपने विचार रखे।
सम्मेलन का सफल संचालन श्रीमती संतोष जैन ने किया।सभी महिला मंडलों के पदाधिकारी का सम्मान श्रीमती शशि जैन, श्रीमती किरण जैन श्रीमती प्रीति जैन ने करते हुए आभार प्रकट किया।
महामंत्री वीरचन्द्र जैन ने क्षेत्र का परिचय प्रस्तुत किया।
इनका कहना है :
संस्कारों के प्रति सजग हो नारी :
-आज प्रदर्शन की होड़ पुरुषों में कम महिलाओं में ज्यादा हो रही है। हम ही अपने नौनिहालों को आधुनिक शिक्षा के नाम पर अपने से दूर करते हुए संस्कृति से भी दूर कर रहे हैं।यह अक्षम्य अपराध है इसके प्रति हमें सजग होना पड़ेगा तभी संस्कृति का संरक्षण संभव हो सकेगा।- श्रीमती अर्चना जैन, सदस्य नीति आयोग- भारत सरकार
आधुनिकता के अंधानुकरण से बचें महिलाएं :
-मेरा बेटा आर्मी में होकर भी शाकाहार का पक्षधर है यह मेरे लिए गौरव की बात है।
हम जानते हैं वर्तमान में आधुनिक शिक्षा के लिए अपने बेटे बेटियों को बाहर भेजना होता है, वहां उनके खान-पान, रहन-सहन एवं आधुनिक परिवेश का आकर्षण उन्हें आकर्षित करता है, परंतु हमारी सजगता उनके प्रति हमारा खुला व्यवहार एवं संस्कार अपना प्रभाव अवश्य डालते हैं ।हमारे परिवार में धर्म के प्रति आस्था, श्रद्धा, समर्पण ही संस्कृति का संरक्षण कर सकता है, जिसे हम महिलाओं को संकल्प पूर्वक अपने जीवन में उतारने का प्रयोग करना पड़ेगा।- श्रीमती रश्मि गोयल
संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण जरूरी :
-आज यह भेद करना बड़ा मुश्किल हो गया है कि हमारी बहनें धार्मिक अनुष्ठान में जा रही हैं या किसी शादी समारोह में। हम बहनों का कर्तव्य है हम स्वयं शालीनता के साथ धार्मिक अनुष्ठानों में सहभागिता दें एवं अपने बच्चों को भी संस्कार, सभ्यता की गरिमा एवं महत्व से अवगत कराएं,जिससे उनका रुझान प्रदर्शन न होकर आत्मदर्शन की ओर हो।- रश्मि- ऋतु एडवोकेट
समाज की वास्तविक वास्तुकार है नारी : अगर आप एक महिला को शिक्षित कर रहे हैं तो आप आने वाली पूरी पीढ़ी को शिक्षित कर रहे हैं।समाज के विकास के लिए यह बेहद जरुरी है कि लड़कियों की शिक्षा में किसी तरह की कमी न आने दी जाए । नारी अदभुत शक्ति की धनी है। घर को आदर्श व स्वर्ग जैसा बनाने का कार्य नारी करती है।
समाज की वास्तविक वास्तुकार नारी है। – श्रीमती प्रियंका जैन
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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