निर्माण के देवता भगवान विश्वकर्मा की धूमधाम से मनाई गई जयंती

ललितपुर। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा मूल्यांकित संस्थान पहलवान गुरुदीन प्रशिक्षण महाविद्यालय के डॉ.भीमराव अंबेडकर सभागार में “भगवान विश्वकर्मा प्रकटोत्सव” के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का शुभारंभ पहलवान गुरुदीन ग्रुप ऑफ कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. सौरभ यादव,पहलवान गुरुदीन प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. महेश कुमार झा, डॉ विनोद यादव, उपप्राचार्य असिस्टेंट प्रोफेसर रामलाल रायकवार, इतिहास विभागाध्यक्ष असिस्टेंट प्रोफेसर गंगाराम विश्वकर्मा एवं विज्ञान विभागाध्यक्ष असि. प्रो. प्रसन्न कुमार विश्वकर्मा ने माॅ सरस्वती और भगवान विश्वकर्मा जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण कर किया। महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ. सौरभ यादव ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती पर, भक्त भगवान विश्वकर्मा की पूजा, अनुष्ठानों और प्रसाद के साथ करते हैं, तथा अपने काम में सफलता और प्रगति के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। यह त्यौहार कड़ी मेहनत, रचनात्मकता और दिव्य प्रेरणा के महत्व को स्वीकार करने का भी अवसर है। विश्वकर्मा जयंती मनाकर हिंदू, ब्रह्मांड में उनके योगदान के लिए भगवान विश्वकर्मा के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं और अपने जीवन में उनके मार्गदर्शन और सुरक्षा की कामना करते हैं। डॉ. विनोद यादव ने कहा कि विश्वकर्मा को वास्तुकला, यांत्रिकी और शिल्प कौशल के देवता के रूप में पूजा जाता है। विश्वकर्मा जयंती समाज में इन कौशलों के योगदान को स्वीकार करने और सम्मान देने का अवसर है। बढ़ईगीरी, इंजीनियरिंग, वास्तुकला और अन्य यांत्रिक कलाओं जैसे व्यवसायों से जुड़े लोग अपने काम में प्रगति और सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। इस दिन लोग सुबह जल्दी उठते हैं, अपने कार्यस्थल को साफ करते हैं और उसे सजाते हैं। इस दिन सभी औजारों और मशीनों को साफ करने और सजाने के बाद उनका उपयोग नहीं किया जाता है। फिर श्रमिकों द्वारा उनकी पूजा की जाती है, जो उनके व्यापार के उपकरणों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है। असिस्टेंट प्रोफेसर रामलाल रायकवार के बताया कि विश्वकर्मा दिवस हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक अनमोल दिन है। जैसा कि पहले बताया गया है, यह दिन भगवान विश्वकर्मा का सम्मान करता है । ऋग्वेद में उनके योगदान की महानता का वर्णन किया गया है। श्रमिक समुदाय इस त्यौहार को मजे से मनाते हैं। वे अपने संबंधित क्षेत्रों में सफलता के लिए भगवान की पूजा करते हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर प्रसन्न कुमार ने कहा कि विश्वकर्मा दिवस या विश्वकर्मा जयंती या विश्वकर्मा पूजा भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें दुनिया का डिज़ाइनर माना जाता है। उन्होंने द्वारका की पवित्र नगरी बनाई जिस पर कृष्ण का शासन था। भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए कई हथियार भी बनाए।अंत में सभी का आभार व्यक्त करते हुए प्राचार्य डॉ. महेश कुमार झा ने बताया कि माघ महीने के शुक्ल पक्ष में मनाई जाने वाली विश्वकर्मा जयंती का पवित्र अवसर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह दिन ब्रह्मांड के दिव्य वास्तुकार और निर्माता भगवान विश्वकर्मा का सम्मान करता है। विभिन्न हिंदू किंवदंतियों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए स्वर्गीय निवास, हथियार और रथों का निर्माण किया। इस दिन, भक्त रचनात्मकता, नवाचार और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। कारीगर, शिल्पकार और इंजीनियर भी अपने संरक्षक देवता को श्रद्धांजलि देते हैं, अपने काम में प्रेरणा और मार्गदर्शन मांगते हैं। विश्वकर्मा जयंती 10 फरवरी 2025 को पड़ती है। संगोष्ठी का सफल संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर गंगाराम विश्वकर्मा ने किया।इस अवसर पर असिस्टेंट प्रोफेसर सरिता श्रीवास्तव, असिस्टेंट प्रोफेसर प्रकाश विश्वकर्मा,असिस्टेंट प्रोफेसर सतीश सोनगिरकर, डॉ. घूमन अहिरवार, असि0प्रो0अजब सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर सतीश साहू,असिस्टेंट प्रोफेसर राहुल विश्वकर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर रमाकांत सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर नीतेश विश्वकर्मा, प्रोफेसर नसीम खान, असिस्टेंट प्रोफेसर सुखसाहब यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप सिंह यादव, असिस्टेंट प्रोफेसर रचना कुमारी,असिस्टेंट प्रोफेसर डॉली बानो, शिवम झा,अमन कुशवाहा,विनोद झा, जगत झा, शोभाराम,विशाल यादव और महाविद्यालय के समस्त विभागों से छात्र–छात्राएं उपस्थित हुये।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
#Timesnowbundelkhand