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जिलाधिकारी ने जनपद को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए यूनिसेफ व विभागीय अधिकारियों के साथ की बैठक

> क्षेत्र में बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी क्षेत्र के प्रबुद्धजन, ग्राम प्रधान और धर्मगुरु आगे बढ़कर लें: डीएम
> बाल विवाह करने या कराने वालों को 2 वर्ष का कठोर कारावास व 1 लाख का होगा जुर्माना
> बाल विवाह होनेे की जानकारी हेल्प लाईन नं0 1098, 112 एवं 7991768911 पर दें
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ललितपुर। जिस देश की महिलाशक्ति जितनी सशक्त होती है वह देश भी उतना ही सशक्त होता है, वर्तमान सरकार के नेतृत्व में देश व प्रदेश में महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु अनेकों योजनाएं संचालित हैं, जिनके माध्यम से महिलाओं एवं बालिकाओं को उनका अधिकारों का बोध कराते हुए उन्हें विकास की मुख्य धारा का हिस्सा बनाया जा रहा है। वहीं जनपद ललितपुर बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई का दंश झेल रहा है, जिसके उन्मूलन के लिए अब जिला प्रशासन ने कमर कस ली है। *जनपद को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए मंगलवार को जिलाधिकारी श्री अक्षय त्रिपाठी ने यूनिसेफ व विभागीय अधिकारियों के साथ एक वृहद बैठक कर प्रत्येक स्तर पर बाल विवाह रोकने की रणनीति बनायी है, इसके लिए उन्होंने सम्बंधित विभागीय अधिकारियों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दी हैं।*
जिलाधिकारी ने जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देश दिये कि वह जनपद के सबसे प्रभावित क्षेत्र मड़ावरा, महरौनी एवं बार की महिला ग्राम प्रधानों को जिला स्तर पर बुलाकर कार्यशाला का आयोजन किया जाए, जिसमें जनप्रतिनिधियों को भी सम्मिलित किया जाए। इस कार्यशाला की जिम्मेदारी जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला प्रोबेशन अधिकारी व यूनिसेफ के अधिकारियों दी गई है। उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिये कि वह विद्यालयों में पढ़ने वाली किशोरियों व उनके अभिभावकों के साथ प्रत्येक माह बैठक आयोजित कर उन्हें बाल विवाह से होने वाले दुष्परिणामों के बारे में बतायें, उन्हें बताया जाए कि बाल विवाह करना गैरकानूनी है।
उन्होंने निर्देश दिये कि इन क्षेत्र में विवाह कराने वाले पण्डित पादरी, मौलवी आदि को सूचीबद्ध कर इनके साथ बैठक करायी जाये और इनको बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के बारे में बताया जाए और इसके दुष्परिणाम से भी अवगत कराया जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बाल विवाह सामाजिक अपराध के साथ कानूनी अपराध भी है, जिसमें अभिभावक, लड़के, लड़के के माता-पिता एवं बाराती, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से संरक्षण देने वाले रिश्तेदार, पंच, मुखिया, पण्डित, मौलवी, बैण्ड वाले, नाई, टेण्ट वाले, फोटोग्राफर, हलवाई, बिचौलिया सभी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी जाएगी, जिसमें 2 वर्ष का कठोर कारावास और 1 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। *जिलाधिकारी ने जनपद के सभी जागरुक प्रबुद्धजनों से अपील की है कि वह अपने क्षेत्र में बाल विवाह न होने दें और यदि कहीं बाल विवाह होने की जानकारी मिलती है तो चाल्ईड हेल्प लाईन नं0 1098, ललितपुर सी0यू0जी न0 7991768911, पुलिस हेल्प लाईन न0 112 पर सूचना दें, सूचना देने वाले की जानकारी पूर्णतः गुप्त रखी जायेगी* ।
बैठक के दौरान जिला प्रोबेशन अधिकारी नन्दलाल सिंह ने कहा कि बाल विवाह करना या करवाना संज्ञेय और गैरजमानती अपराध है, उन्होंने बाल विवाह की परिभाषा का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसा विवाह जिसमें बंधने वाले दोनो या कोई एक पक्षकार अवश्यक है, यानि लड़की 18 वर्ष और लड़का 21 वर्ष से कम है तो ऐसा विवाह बाल विवाह कहलाता है, जिसको कराने वाले को 2 वर्ष का कठोर कारावास और 1 लाख रुपए का जुर्माना का प्रावधान है। उन्होंने बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताते हुए कहा कि शारिरिक अपरिपक्कता के कारण जल्दी विवाह, जल्दी गर्भधारण एवं प्रसव से किशारियों एवं उनके बच्चे दोनो की जान खतरे में पड़ सकती है। कम उम्र में विवाह करने वाली लड़की अन्य लड़कियों की अपेक्षा घरेलु हिंसा के जोखिम अधिक होते हैं। छोटी उम्र में विवाह से लड़के और लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी कमलाकांत पाण्डेय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ0 इम्तियाज अहमद, जिला कार्यक्रम अधिकारी नीरज सिंह, जिला सूचना अधिकारी डीएस दयाल, जिला पंचायत राज अधकारी नवीन मिश्रा, यूनिसेफ के राज्य बाल संरक्षण अधिकारी दिनेश कुमार, राज्य समन्वयक सोशल विहेवियर चैंज एक्सपर्ट दयाशंकर सिंह, मण्डल सलाहकार बाल संरक्षण परीक्षित सेठ परीक्षित सेठ उपस्थित रहे।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand

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