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बढ़ते तापमान के चलते मौसम विभाग ने जारी किया यलो एलर्ट * जिलाधिकारी ने सावधानी व बचाव के उपाय अपनाने की दी सलाह

* सहायता के लिए जिला इमरजेंसी आपरेशन सेन्टर कंट्रोल रूम-05176-277409, 272335, 272613, 9454416374 या 1070, 1077, 108, 112 पर करें सम्पर्क

ललितपुर।
वर्तमान में गर्मी के बढ़ते तापमान के दृष्टिगत मौसम विभाग द्वारा जनपद के लिए यलो अलर्ट जारी किया है, मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार मार्च से जून के मध्य/अधिक तापमान रहने की संभावना है। ऐसे में लोगों को हीटवेन से बचाव के लिए आवश्यक तैयारियां कर लेनी चाहिए। इस दौरान जनपदवासियों को सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। इस हेतु जिलाधिकारी श्री अक्षय त्रिपाठी ने एडवायजरी जारी करते हुए अवगत कराया है कि गर्म हवाओं से बचने के लिए खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एलुमिनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढककर रखें, ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके। उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आतीं हैं, काले परदे लगाकर रखना चाहिए। स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सजग रहें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण ले। बच्चों तथा पालतू जानवरों को कभी भी बन्द वाहन में अकेला न छोड़ें। जहां तक सम्भव हो घर में ही रहें तथा सूर्य के ताप से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिल पर रहें। संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें और बासी खाने का प्रयोग कदापि न करे और मादक पेय पदार्थों का सेवन न करें। घर से बाहर अपने शरीर व सिर को कपड़े या टोपी से ढककर रखें। घर में पेय पदार्थ जैसे लस्सी, छांछ, मष्ठा, बेल का शर्बत, नमक चीनी का घोल, नीबू पानी या आग का पना इत्यादि का प्रयोग करें।

उन्होंने बताया है कि हीटवेब से बचाव को लेकर जनसामान्य के बीच जागरूता अभियान स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाया जा रहा है। जब वातावरण का तापमाप 37 डिग्री सेल्सियस से 3-4 डिग्री अधिक पहुंच जाता है तो उसे हीटवेब या लू कहते हैं। अभी आगे गर्मी का प्रकोप और बढ़ेगा इसलिए गर्मी से बचाव के लिए विभिन्न उपायों को अपनाना चाहिए।

कब लगती है लू-
गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी फ्ल्यूड सूखने लगते हैं। शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, मोटापा, पार्किंसस रोग, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है। इसके अलावा डॉययूरेटिक, एंटीस्टिमिनक, मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने वाले व्यक्ति भी लू से सवाधान रहें।

लू के लक्षण-
गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में तेजी, व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना अथवा इसमें कमी आदि मुख्य लक्षण हैं। इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है।

जनपद में हीटवेव (लू) के प्रति जोखिम (कमजोर वर्ग एवं क्षेत्र की पहचान)
05 वर्ष से कम आयु के बच्चे व 65 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति।
गर्भवती महिलायें ।
ऐसे व्यक्ति जोकी सैन्य, कृषि, निर्माण और औधोगिक व्यवसाय में श्रमिक,
मजदूर, खिलाड़ी आदि हों।
शारीरिक तौर पर कमजोर व्यक्ति एवं गोटापे से ग्रस्त व्यक्ति ।
त्वचा संबन्धित रोग जैरोः सोरायसिस, पागोसर्गा आदि से प्रभावित व्यक्ति ।
पर्यावरण बदलने के कारण गर्मी के अनुकूलनता का आभाव।
सोने का आभाव ।

आपदा संबंधी सहायता के लिए निम्न नम्बरो पर सम्पर्क कर सकते है।
एम्बुलेंस 108
पुलिस -112
राहत आयुक्त कार्यालय 1070 टोलफी/आपदा हेल्प लाइन न0-1077
जिला इमरजेंसी आपरेशन सेन्टर कंट्रोल रूम. 05176 -277409, 272335, 272613, 9454416374, गर्म हवाएं/लू की स्थिति में क्या करें और क्या न करें

सभी के लिए चाहिए
रेडियो सुनिए, टीवी देखिए, स्थानीय मौसम समाचार के लिए समाचार पत्र पढ़ें।
पर्याप्त पानी पियें भले ही प्यास न लगे।
खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), लस्सी, तोरानी (चावल का पानी), नींबू का पानी, छाछ आदि जैसे घरेलू पेय का इस्तेमाल करें।
हल्के वजन, हल्के रंग के, ढीले, सूती कपड़े पहनें।
अपना सिर ढंकेंः कपड़े, टोपी या छत्तरी का उपयोग करें।
हांथों को साबुन और पानी से बार-बार धोएं।
अनावश्यक घर से बाहर प्रात-11.00 से सांयकाल 4.00 बजे तक न निकले बहुत ही आवश्यक होने पर चेहरे व सिर को ढककर ही निकले।

नियोक्ता और श्रमिक-
कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं।
कार्यकर्ताओं को सीधे धूप से बचने को कहे।
अति पारिश्रगिक वाले कार्यों को दिन के ठन्डे समय में निर्धारित करें।
बाहरी गतिविधियों के लिए ब्रेक की आवृत्ति में वृद्धि करें।
गर्भवती श्रमिकों और श्रमिकों जिन्हें चिकित्सा देख-भाल की अचानक जरुरत हो सकते हो उनका
अतिरिक्त ध्यान दिया जाना चाहिए।

वृद्ध एवं कमजोर व्यक्तियों के लिये
तेज गर्मी, खासतौर से जब वे अकेले हों, तो कम से कम दिन में दो बार उनकी जांच करें।
ध्यान रहे कि उनके पास फोन हो।
यदि वे गर्मी से बैचेनी महसूस कर रहे हों तो उन्हें चंडक देने का प्रयारा करें।
उनके शरीर को गीला रखें, उन्हें नहलाएं अथवा उनकी गर्दन तथा बगलों में भीला चौलिया रखें।
उन्हें अपने पास हमेशा पानी की बोतल रखने के लिए कहें।

शिशुओं के लिये-
उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं।
शिशुओं में गर्मी की वजह से होने वाली बीमारियों का पता लगाना सीखें।
यदि बच्चों के पेशाब का रंग गहरा है तो इसका मद्यलब है कि वह डिहाईड्रेशन (पानी की कमी) का शिकार हैं।
बच्चों को बिना देखरेख खड़ी गाड़ी में छोड़ कर न जाएं, वाहन जल्दी गर्म होकर खतरनाक तापमान पैदा कर सकते हैं।

पशुओं के लिए-
जहां तक संगव हो, तेज गर्मी के दौरान उन्हें घर के भीतर रखें।
यदि उन्हें घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे
आराम कर सकें। ध्यान रखें कि जहां उन्हें रखा गया हो वहां दिनभर छाया रहे। जानवरों को किसी बंद में न रखें, क्योंकि गर्म मौसम में इन्हें जल्दी गर्मी लगने लगती है।
ध्यान रखें कि आपके जानवर पूरी तरह साफ हों, उन्हें ताजा पीने का पानी दें, पानी को धूप में न
रखें। दिन के सगय उनके पानी में नर्फ के टुकड़े डालें।
पीने के पानी के दो बाउल रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वे पानी पी सकें।
अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें।
किसी भी स्थिति में जानवर को वाहन में न छोड़े।

अन्य सावधानियाँ-
जितना हो सके घर के अंदर रहें।
अपने घर को ठंडा रखें। पर्दे, शटर या धूप का उपयोग करें और खिड़कियां खुली रखें।
निमली मंजिलों पर रहने का प्रयास करें।
पंखे का प्रयोग करें, कपड़ों को नम करें और ठंडे पानी में स्नान करें।
यदि आप बेहोश या कमजोरी महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए।
यदि आप बेहोश या कमजोरी महसूस करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाए।
जानवरों को छाया में रखें और उन्हें पीने के लिए भरपूर पानी दें।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times Now Bundelkhand

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