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जिलाधिकारी की पहल पर जनपद में 13 स्थलों पर मियांबाकी पद्धति से लगाए गए 149050 पौधे जनपद की पथरीली जमीन को हरा-भरा करने, रंग ला रही है डीएम की पहल

ललितपुर। जनपद ललितपुर में वृहद रूप से पथरीली भूमि होने के कारण इस क्षेत्र में वृक्षारोपण किये जाने हेतु काफी कम मात्रा में भूमि की उपलब्धता हो पाती है, जिस कारण जिलाधिकारी श्री अक्षय त्रिपाठी के निर्देशानुसार मियांबाकी पद्धति द्वारा कम भूमि पर सघन मात्रा में वृक्षारोपण किया गया। शासन की शीर्ष प्राथमिकता पर जनपद ललितपुर में गौवंश आश्रय स्थलों का संचालन किया जा रहा है जिसके अन्तर्गत संरक्षित गौवंशों के भरण-पोषण हेतु जिलाधिकारी श्री अक्षय त्रिपाठी की पहल पर ललितपुर जिले में मियावाकी पद्धति से वृक्षारोपण कार्य के लिए 20 स्थलों का चयन किया गया था, जिनमें से 13 स्थलों पर कार्य पूरा हो चुका है, जिनमें 149050 पौधे लगाए गए हैं।
जिलाधिकारी ने बताया कि ललितपुर जिले में विशाल पठारी एवं पथरीली भूमि होने के कारण न्यूनतम स्थान में अधिक से अधिक वृक्ष लगाने हेतु मियावाकी पद्धति से सघन वृक्षारोपण कार्य किया गया है। मियाबांकी पद्धति मूलरूप से जापानी पद्धति है जिससे कराया गया वृक्षारोपण परम्परागत रूप से लगाये गये जंगलों की तुलना में 30 गुना अधिक घने होते हैं तथा 2-3 वर्षों में ही आत्मनिर्भर बनकर 10 गुना तेजी से बढ़ सकते हैं। मियाबाकी वृक्षारोपण विधि का उद्देश्य रणनीतिक रूप से स्वदेशी पेड़ों को लगाकर छोटे क्षेत्रों में घना हरित आवरण स्थापित करना है। उन्होंने बताया कि देशी पेड़ों का घना हरा आवरण उस क्षेत्र के धूल कणों को अवशोषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जहां उद्यान स्थापित किया गया है। पौधे सतह के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं।
इस पहल के अंतर्गत नगर क्षेत्र स्थित औद्योगिक आस्थान चन्देरा में मियावाकी पद्धति से पार्कों के सौन्दर्यकरण एवं वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है, यहां पर 8 बेड बनाए गए हैं, प्रत्येक बेड में 500 पौधे लगाए जा रहे हैं, इस प्रकार कुल 4 हजार पौधे मियावाकी पद्धति से लगाए जा रहे हैं। जिलाधिकारी के निर्देश पर विगत दिवस अपर जिलाधिकारी अंकुर श्रीवास्तव ने चंदेरा में किये गए वृक्षारोपण कार्य का जायजा लिया और पौधों के संरक्षण हेतु दिशा-निर्देश दिये।
विकास खण्ड-बिरधा की ग्राम पंचायत कल्यानपुरा में मियाबाकी पद्धति से 25 एकड़ भूमि पर वृक्षारोपण कार्य कराया जा रहा है, जिस हेतु 13 बेड तैयार कर 39000 पौधे लगाये जाने की योजना बनायी गयी है। प्रस्तावित 13 बेड के सापेक्ष सभी बेड तैयार कर लिये गये है तथा 11 बेड में 32000 पौधों का रोपण भी किया जा चुका है तथा शेष पौधों का वृक्षारोपण कार्य प्रगति पर है। ब्लाकों में 3400 फलदार पौधों का रोपण किया गया है जिसमें संतरा, कीनू, आंवला, नासपाती, मोसम्मी, शहतूत, अनार, सीताफल, नीबू, अमरूद, जामुन आदि सम्मिलित किये गये है। मियाबांकी स्थल पर आवागमन हेतु पाथवे तैयार किया गया है जिसके दोनो ओर 1100 आम एवं अशोक के पौधों का रोपण किया गया है जो स्थल को रमणीयता प्रदान करते है। पौधों की सिंचाई हेतु 03 सोलर पम्प की स्थापना की गयी है तथा पौधों की सुरक्षा हेतु 1130 मीटर तारफेंसिंग कार्य कराया गया है।
विकास खण्ड जखौरा की ग्राम पंचायत बादरोन में संचालित स्थायी गौवंश स्थल में कुल 1045 गौवंश संरक्षित हैं। उक्त व्यवस्था के सुचारू रूप से संचालन हेतु ग्राम पंचायत की भूमि पर लगभग 4.0 एकड़ में ग्राम पंचायत द्वारा भूमि सुधार कार्य कराते हुये हरा चारा (बरसीम) की बुआई की गयी, जिसको एक बार बोने के उपरान्त लगभग 5 बार तक कटाई की जा सकती है और उसमें गौवंश के लिये पोषक तत्व से पूर्ण हरा चारा उपलब्ध कराया गया। आज दिनांक 07.01.2025 को ग्राम बादरोन में बाये गये हरे चारे की प्रथम बार कटाई प्रारम्भ की गयी, जिसमें एक बार की कटाई में लगभग 10 दिनों तक निर्धारित मात्रा में हरा चारा उपलब्ध हो जायेगा। इसी तरह माह जनवरी, फरवरी एवं मार्च 2025 तक के लिये पर्याप्त हरे चारे की उपलब्धता रहेगी, जिससे गौवंश को प्रतिदिन भूषा एवं चूनी के साथ-साथ हरा चारा भी प्राप्त होगा जिससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। उक्तानुसार ग्राम सभा की रिक्त भूमि पर अन्य ग्राम पंचायतों में भी गौवंश हेतु हरा चारा बुआई का कार्य कराया जा रहा है जिससे आने वाले कुछ दिनों में ही विकास खण्ड में संचालित समस्त गौवंश आश्रय स्थलों पर सरंक्षित गौवंश हेतु हरे चारे की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता रहेगी।
विकास खण्ड जखौरा की ग्राम पंचायत महर्रा में अमरपुर मंडी परिसर में लगभग 3600 वर्ग मीटर की भूमि में मियाबांकी पद्धति द्वारा लगभग 24 प्रजातियों के 13000 पौधों का रोपण किया गया। इस तकनीक से लगाये गये वन नई जैव विविधता को प्रोत्साहित करते हैं, साथ ही सतह के तापमान को भी नियन्त्रित करने में मदद करते हैं। उक्त तकनीक द्वारा कराये गये पौधरोपण के अन्तर्गत ग्राम पंचायत द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजनान्तर्गत इस रिक्त भूमि को सुधार कराते हुये लगभग 100 वर्ग मीटर की भूमि का सुधार किया गया। इस तकनीक के अन्तर्गत पौधरोपण की भूमि पर पहले 1 मीटर गहरी खुदाई की गयी, इसके उपरान्त खोदी गयी भूमि पर 10 सेंटीमीटर की मिट्टी की परत बिछाते हुये इसके ऊपर 10 सेंटीमीटर की भूसे की दूसरी परत बिछाई गयी। इसके उपरान्त 30 सेंटीमीटर मिट्टी की दूसरी परत बिछाते हुये 50ः50 के अनुपात में घनजीवा अमृत एवं 10 सेंटीमीटर की भूसे की परत बिछायी गयी। इस भूमि पर 60 सेंटीमीटर की दूरी पर चूने से चिन्हांकन करते हुये पौधों का रोपण किया गया। पौधरोपण के दौरान इस बात का ध्यान रखा गया कि एक ही प्रजाति के पौधे आस-पास न लगाये जायें तथा पौधों को लम्बाई के बढ़ते क्रम के आधार पर ही बांधकर रोपण किया गया। वाष्पीकरण को रोकने के लिये सबसे ऊपरी सतह को पत्तियों से ढ़क दिया गया। उक्त प्रक्रिया से ही मियाबांकी पद्धति द्वारा वृक्षारोपण कार्य को सम्पन्न किया गया।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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