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मधुर वाणी बनती है मधुर संबंध -आचार्य निर्भय सागर

ललितपुर। वैज्ञानिक संत आचार्यश्री निर्भयसागर महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा मधुर वाणी हर प्राणी से मधुर संबंध बनाती है इसलिए हमेशा मधुर वाणी बोलना चाहिए। आदर सत्कार क्षमा और विनय ज्ञानियों के द्वारा दी जाने वाली सबसे बड़ी गिफ्ट है। अच्छी रिश्तो से फरिश्ते भी प्रसन्न होते हैं।अहम् का दफन करने वालों की अहमियत बढ़ जाती है अहम् करने वालों की हैसियत काम हो जाती है।
जैन अटा मंदिर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा निस्वार्थ की गई भलाई दूध की मलाई की तरह ऊपर आती है। अच्छे लोगों का साथ बुरे लोग भी चाहते हैं। विश्वास ही विश्व की श्वास है। झूठे लोगों के रिश्ते रूठी और टूटे बिना नहीं रहते हैं। आशा और निराशा दोनों दुखदाई है समय पर प्राप्त होने वाली वस्तु का मूल्य पड़ जाता है। उन्होंने कहा इस कलिकाल की संजीवन बूटी चाय है। इस चाय की चाह से बच्चों की शक्ति को भी आघात पहुंचा है चाय एक धीमा जहर है जिसमें कैफीन नाम का जहर होता है जो आदमी को आदि बना देता है सच्चे आस्थावान धर्मात्मा जुगनू के समान बहुत कम कहीं-कहीं दिखते हैं और रागी दोषी मोही मच्छरों की तरह सारी दुनिया में भारी पड़े हैं ‌। वैज्ञानिक संत आचार्यश्री निर्भयसागर जी महाराज ससंघ सहित अटा मन्दिर ललितपुर में जहाँ प्रतिदिन रयणसार ग्रंथ पर मार्मिक प्रवचन प्रातः 8:30 से हो रहे हैं ।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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