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जीवन मे श्रद्धा से ही मिलता मोक्षमार्ग -आचार्य निर्भय सागर

ललितपुर।जैन सन्त आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज ने धर्म सभा में कहा जीवन में श्रद्धा से ही संसार और मोक्ष का मार्ग मिलता है। श्रद्धा पागलों में नहीं होती है। श्रद्धा दीपक की कांपती हुई लौं के समान नहीं होना चाहिए बल्कि अंगारे के समान होना चाहिए चाहे कितना भी तूफान आए तो भी अंगारा बुझाता नहीं है बल्कि और ध़धकता है इसी प्रकार कितनी भी भौतिकता भोगवादिता और पाश्चात्य संस्कृति का तूफान आए तो भी हमारी श्रद्धा नहीं बुझाना चाहिए। जिसे अपने किए कर्मों पर भगवान के द्वारा बतलाए धर्म पर गुरु के द्वारा चलाए गए मार्ग पर और जिनवाणी में लिखे वाक्यों पर सच्चा श्रद्धा होती है। वह सदा धर्म मार्ग पर चलता है पाप से डरता है और घर में बैरागी बनकर चक्रवर्ती की तरह रहता है। उसके लिए चक्रवर्ती की संपदा और स्वर्ग के इंद्र जैसे भोग मिलने पर भी वह विचलित नहीं होता है। आचार्यश्री ने आगम शब्द की परिभाषा बताते हुए कहा जो आप्त अर्थात भगवान के द्वारा कहा गया हो गणधराचार्य के द्वारा गूथा गया हो और मुनियों द्वारा लिखा गया हो वह जैन आगम है। जैन आगम पढ़ने और सुनने से विषय वासना ईर्ष्या और कषायों की आग शांत होती है। उक्त विचार आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज ने पार्श्व नाथ जैन अटा मंदिर में धर्म सभा में व्यक्त किए। आज प्रातः काल भारतीय स्टेट बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक सर्वेश त्रिपाठी, मुख्य प्रबंधक संजीव लोहिया एवं हिमांशु तिवारी ने आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन किया। इस मौके पर दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष डॉ अक्षय टडैया,महामंत्री आकाश जैन, मन्दिर प्रबंधक मनोज बबीना, सनत खजुरिया, राजकुमार जैन, अखिलेश कुमार गदयाना,अक्षय अलया मीडिया प्रभारी, स्वतंत्र मोदी अमित सराफ, पुष्पेंद्र जैन, आनंद जैन एवं शादी लाल जैन एड, अनिता मोदी,ममता मोहनी,वीणा जैन,संगीता जैन,आदि मौजूद रहे।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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