हिंसा से बचने के लिए जैन साधु करते हैं चौमासा – मुनिश्री गुरूदत्त सागर, चातुर्मास कलश स्थापना समारोह में उमड़ा जनसैलाब,

महरौनी,ललितपुर-
श्री अजितनाथ दिगंबर जैन बड़े मंदिर में सकल जैन समाज के तत्वावधान में मंगलवार को चातुर्मास कलश स्थापना समारोह का आयोजन किया गया।
इस दौरान धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री गुरु दत्त सागर महाराज ने कहा कि वर्षा ऋतु में सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति अधिक होती है, जिससे बचने के लिए जैन साधु चातुर्मास करते हैं। यह अहिंसा के सिद्धांत की रक्षा का माध्यम है।
उन्होंने कहा कि श्रावकों को इस समय साधु-संगति में रहकर धर्म, ध्यान और आत्मकल्याण के मार्ग पर चलना चाहिए। इस दौरान मुनि श्री मेघ दत्त सागर महाराज ने धर्म को जीवन का आवश्यक अंग बताते हुए कहा कि जैसे भोजन के बिना शरीर कमजोर होता है, वैसे ही धर्म के बिना जीवन दिशाहीन हो जाता है।
सुबह भगवान अजितनाथ का अभिषेक, शांतिधारा और पूजा के बाद नगर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। आयोजन स्थल पर आचार्य श्री विद्यासागर, समय सागर और निर्भय सागर जी के चित्रों का अनावरण ब्रह्मचारी भैया-दीदीयों द्वारा किया गया। दीप प्रज्वलन जैन पंचायत कमेटी के पदाधिकारियों ने किया।ललितपुर, टीकमगढ़, दमोह, गुढा आदि स्थानों से आए पदाधिकारियों ने मुनिश्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। संघस्थ मुनिराजों के गृहस्थ परिजनों और अन्य अतिथियों को मंच पर सम्मानित किया गया।
पाठशाला की बच्चियों ने मंगलाचरण नृत्य प्रस्तुत कर उपस्थितजनों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम का संचालन नितिन शास्त्री और नीलेश सराफ ने किया। आयोजन प्रदीप शास्त्री (ललितपुर), अभिषेक (दमोह) और अंकित शास्त्री के निर्देशन में सम्पन्न हुआ। समारोह में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहीं।
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