
टीकमगढ़ मुनि श्री १०८ सौम्य सागर जी
मुनि १०८श्री जयंत सागर जी महाराज की अगवानी बानपुर दरवाजा रोड मुक्तिधाम चौराहे से भव्य अगवानी हुई जो शहर के प्रमुख मार्गो से होती हुई बाजार मंदिर तहसील प्रांगण में पहुंची
धर्म प्रभावना समिति के अध्यक्ष नरेंद्र जनता ने जानकारी देते हुए बताया की जगह-जगह रंगोलिया बनाई गई , आरती उतारी ,और पैर धुलाये गए
फिर महाराज जी ने बाजार जैन मंदिर के दर्शन कर तहसील प्रांगण में मंच पर विराजमान हुए और उन्होंने प्रवचन में कहा कि टीकमगढ़ का इतिहास स्वर्णत रहा है यहां अनेक गुरुओं का चातुर्मास हुआ यह चातुर्मास सकल दिगंबर जैन समाज का चातुर्मास है सभी मंदिरों का है उन्होंने कहा कि रहे भावना ऐसी मेरी , औरों का उपकार करूं हमें हमेशा सरल बनना चाहिए जब पानी बर्फ बनाकर कठोर हो जाता है तो पत्थर से पीटा जाता है हम सभी को अपने जीवन को सरल बनाना है सरल तो पानी होता है जहां जाता है वहां वैसा ही बन जाता है
नरेंद्र जनता ने बताया की जैन धर्म में चातुर्मास का एक महत्वपूर्ण समय होता है इस समय जैन साधु एक ही स्थान पर रहकर तप, त्याग, साधना और धर्म ध्यान करते हैं यह समय अहिंसा और आत्म संयम के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि वर्षा ऋतु में सूक्ष्म जीव बहुत होते हैं जिससे मनुष्य के अधिक चलने फिरने से उन्हें नुकसान होता है इसलिए मुनि संघ यह वर्षा ऋतु के चार महीने एक ही स्थान पर रहकर धर्म ध्यान करते हैं और जगत कल्याण के लिए प्रवचन के माध्यम से उन्हें आत्म मार्ग धर्म मार्ग में लगाते हैं
इसलिए जैन मुनि एक स्थान पर रहकर आत्म कल्याण करते हैं यह सौभाग्य शहर के टीकमगढ़ में बाजार जैन मंदिर को प्राप्त हुआ है मुनी संग के निमित्त से हम सभी भी अपना आत्म कल्याण करने का जियो और जीने दो के मार्ग पर चलेंगे का,सभी जीव समान है मेरे द्वारा किसी भी जीव को कष्ट ना हो यह भावना से यह चातुर्मास पर्व जैन समाज मानती है एवं शहर टीकमगढ़ में 15 जुलाई को दोपहर 1:30 से कलश स्थापना होगी
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand