
महरौनी,ललितपुर-
नगर में आचार्य श्री निर्भर सागर सासंघ का मंगल प्रवेश महरौनी नगर में हुआ। भक्तजनों ने आचार्य संघ की भव्य आगवानी की, श्रावकजनो ने आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन किया।
प्रातःकालीन वेला में श्री अजितनाथ बड़ा जैन मंदिर में जिन अभिषेक पूजन किया गया आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज के मुखारविंद से शांतिधारा पाठ हुआ और श्रावको ने शांतिधारा कर विश्व शांति की कामना की।
इस मौके पर आचार्य निर्भर सागर ने अहिंसा धर्म पर कहा कि “अहिंसा परमो धर्म” है, जिसका अर्थ है कि अहिंसा मनुष्य का परम धर्म है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रेम, सद्भाव, सत्य और अहिंसा हर धर्म का मूल मंत्र है और यही सीख हमें अपने माता-पिता से मिलती है । यह शांति का मार्ग है और शांति के मार्ग से ही समाज और देश की प्रगति होती है।
यह सिद्धांत हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अहिंसक रहने का प्रयास करना चाहिए और दूसरों के साथ भी प्रेम और करुणा का व्यवहार करना चाहिए। यह एक ऐसा सिद्धांत है जो न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि सामाजिक और राजनीतिक जीवन में भी लागू होता है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
कुछ लोग “अहिंसा परमो धर्म” के साथ “धर्म हिंसा तथैव च” (धर्म की रक्षा के लिए की गई हिंसा भी धर्म है) जोड़ते हैं। इसका अर्थ है कि यदि धर्म या निर्दोष लोगों की रक्षा के लिए हिंसा करना आवश्यक हो जाए, तो वह भी एक प्रकार का धर्म है। हालांकि, यह व्याख्या हमेशा स्वीकार्य नहीं होती है, और कई लोग इसे एक अपवाद मानते हैं।
“अहिंसा परमो धर्म” का सिद्धांत हमें सिखाता है कि हमें अपने कार्यों के परिणामों के बारे में सोचना चाहिए और दूसरों को नुकसान पहुंचाने से बचना चाहिए।
दिगम्बर जैन पंचायत कमेटी ने आचार्य संघ को श्रीफल भेंटकर चतुर्मास का आग्रह किया। कार्यक्रम को सफल बनाने मे सकल समाज का योगदान रहा ।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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