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मुनि श्री सौम्यसागर जी एवं मुनि श्री जैयंत सागर जी महाराज का महरौनी में मंगल आगमन, धर्मसभा में दिया आत्मोन्नति का संदेश,

महरौनी,ललितपुर –
पट्टाचार्य श्री 108 विशुद्धसागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य, मुनि श्री सौम्यसागर जी एवं मुनि श्री जैयंत सागर जी महाराज का विहार टीकमगढ़ से प्रारंभ होकर महरौनी की ओर हुआ।
टीकमगढ़ चातुर्मास की पूर्णता के उपरांत, मुनिश्री द्वय ने धर्म प्रचार की निरंतर यात्रा का शुभारंभ किया। रात्रि विश्राम गौरव वेयर हाउस, चरपुवा में हुआ, जहां शनिवार प्रातः आनंदपुर आश्रम के महात्मा अघटयुक्ति आनंद सहित महात्माओं ने विनम्र भाव से उनका पाद प्रक्षालन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
प्रातः 8:00 बजे मुनिश्री जब महरौनी पहुंचे, तो नगर का वातावरण “जयकारो” के उद्घोषों से गूंज उठा। जैन समाज द्वारा पेट्रोल पंप चौराहे पर भव्य अगवानी की गई , द्वार द्वार पाद प्रक्षालन कर आशीर्वाद लिया।
इसके पश्चात मुनिश्री द्वय अजितनाथ जैन मंदिर पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में समाजजन एकत्रित हुए। मुनि श्री सौम्यसागर जी महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा जीवन में पूजा केवल बाहरी क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा को परमात्मा की ओर अग्रसर करने का माध्यम है। जब मन, वचन और कर्म की पवित्रता से पूजा की जाती है, तभी साधक के भीतर का परमात्मा प्रकट होता है।
मुनिश्री ने सभी को आत्मसंयम, अहिंसा और आत्मजागरण का संदेश दिया। धर्मसभा के उपरांत दोपहर 2:00 बजे मुनिश्री सैदपुर के लिए विहार पर निकले। आगामी 5 नवंबर को वे सागर पहुंचेंगे, जहां उनके गुरु आचार्य श्री 108 विशुद्धसागर जी महाराज से उनका मंगल मिलन होना है।
इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालु जनों ने मुनिश्री के दर्शन कर धर्मलाभ प्राप्त किया। श्रद्धालुओं में अत्यंत हर्ष और भावविभोर वातावरण रहा।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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