
महरौनी,ललितपुर-
“रोको रे रोको कोई मुनि को विहार से…” की भावनाओं से भरे वातावरण में मुनिश्री गुरूदत्त सागर एवं मुनिश्री मेघ दत्त सागर का महरौनी नगर से ललितपुर की ओर मंगल विहार संपन्न हुआ।
आचार्य श्री निर्भय सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य इन दोनों मुनिश्रीयों ने यहाँ अपना चतुर्मास पूर्ण कर श्रावक समाज से विदाई ली।
मंगल विहार से पूर्व आयोजित धर्मसभा में मुनिश्री गुरूदत्त सागर ने कहा कि संत समाज धर्ममार्ग के प्रदर्शक होते हैं, श्रावक का कर्तव्य है कि वह संतों की वाणी को आत्मावलोकन कर अपने जीवन में उतारे। इससे न केवल आचरण में विशुद्धि आती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि भी बढ़ती है।
मुनिश्री के विहार अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं, पुरुष एवं बालक-बालिकाएं उपस्थित रहे। नगर में कई स्थानों पर द्वार-द्वार श्रावकजनों ने पाद प्रक्षालन कर मुनिश्री का आशीर्वाद प्राप्त किया। उनके गमन से नगर का वातावरण भावुक हो उठा, नम आंखों से श्रावकजन विदाई देते दिखाई दिए।
मंगल पदविहार के दौरान मार्ग में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और पूरे मार्ग में “जय जय गुरूदत्त सागर” के जयघोष गूंजते रहे। विहार के उपरांत मुनिश्री का मंगल आगमन ललितपुर में हुआ, जहाँ श्रावक समाज ने आत्मीय स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times Now Bundelkhand
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