अहिंसा में कर्म सिद्धांत अति प्राचीन सर्वोपरि हिंसा की जरूरत नही-डॉ जैन इसरो के वैज्ञानिक ने जैनदर्शन के अनेक तथ्य किए उजागर

ललितपुर। वैज्ञानिक संत आचार्य निर्भय सागर महाराज के ससंघ में “विज्ञान संगोष्ठी” को सम्बोधित करते हुए इसरो के प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ राजमल जैन ने कहा कि अहिंसा में कर्म सिद्धांत अति प्राचीन सर्वोपरि हिंसा की जरूरत नही। उन्होने अनेक देशों में भृमण के दौरान देखा विदेशों में श्रमण संस्क्रति के प्रमाण आज भी उपलब्ध हैं, जिनमें जैन धर्मग्रंथों के संदर्भ स्पष्ट रूप से अंकित हैं। इन प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि जैन धर्म केवल आस्था का नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण का भी प्राचीन धर्म है। उन्होंने जैन धर्म के मूल सिद्धांत अहिंसा के वैज्ञानिक स्वरूप को दर्शाया और परस्पहरोह जीवानाम को जैन दर्शन का प्रमुख सूत्र बताया।
इसके पूर्व बैज्ञानिक डॉ राजमल जैन ने आचार्य श्री को श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम में उत्तरांचल तीर्थ क्षेत्र समिति की अध्यक्ष शैलेंद्र जैन ने संबोधित करते हुए तीर्थ संरक्षण के लिए गए प्रयासों की जानकारी दी। दिगंबर जैन पंचायत के अध्यक्ष डॉ अक्षय टड़ैया, महामंत्री आकाश जैन, कैप्टन राजकुमार जैन, सतीश नजा, मनोज जैन बबीना, अजय जैन गगचारी ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से हेमन्त जैन, विनय जैन, घनश्याम जैन संयुक्त महामंत्री उत्तरांचल तीर्थ क्षेत्र समिति के अतिरिक्त मीडिया प्रभारी अक्षय अलया, अखिलेश गदयाना, प्रेमचन्द बिरधा, आनन्द जैन भावनगर, प्रफुल्ल जैन, पण्डित शीतल चन्द जैन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नीलम जैन सराफ द्वारा किया गया।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand
खबर ओर विज्ञापन के लिए सम्पर्क करें
9455422423,9695121690