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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 08 मार्च हेतु विशेष- ● बच्चों को संस्कारित करने में महिलाएं निभाती अहम भूमिका ● महिलाओं का करें सम्मान,यह हैं घर की शान

(ललितपुर) समाज को तब तक विकसित नहीं किया जा सकता, जब तक महिलाएं हर क्षेत्र में स्वतंत्र और सशक्त न हो जाएं। महिलाओं के अधिकारों, समानता और उनके योगदान को सम्मान देने के लिए दुनियाभर के तमाम देश हर साल अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य समाज में महिलाओं की भूमिका को स्वीकार करना और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना है। प्रतिवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। महिला दिवस महज एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और समानता की दिशा में एक कदम है।अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व बेला में अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए महिलाओं ने कहा-

01- नारी की उपलब्धियों का करें सम्मान- रोशनी चौरसिया

शिक्षिका रोशनी चौरसिया का कहना है कि समाज,अर्थव्यवस्था,राजनीति और संस्कृति में सफलताओं सहित दुनिया भर में महिलाओं द्वारा हासिल की गई विभिन्न उपलब्धियों का सम्मान करने और उनकी सराहना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाना बेहद महत्वपूर्ण है।

02- नारी शक्ति और सृजन की मूर्ति- संध्या

संध्या कुशवाहा का कहना है कि नारी केवल एक शब्द नहीं, बल्कि संपूर्ण सृष्टि का आधार है। वह जीवनदायिनी है,प्रेम की मूर्ति और रिश्ते संवारने वाली शक्ति है। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति,ममता और त्याग का स्वरूप माना गया है।

03- महिला सशक्तिकरण: समाज की नींव- विनीता पांडे

शिक्षिका विनीता पांडे का कहना है अगर हम किसी समाज को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमें महिलाओं को सशक्त बनाना होगा। महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को उनके अधिकार,शिक्षा, रोजगार और स्वतंत्रता देना ताकि वे अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जी सकें।

04- मां के रूप में नारी सम्माननीय – पलक जैन

पलक जैन का कहना है कि बच्चों में नैतिक संस्कारों को मां के रूप में नारी द्वारा ही दिए जाते है। बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है। इतिहास उठाकर देखें तो मां पुतलीबाई ने गांधीजी व जीजाबाई ने शिवाजी महाराज में श्रेष्ठ संस्कारों का बीजारोपण किया था। जिसका ही परिणाम है कि शिवाजी व गांधीजी को हम आज भी उनके श्रेष्ठ कर्मों के कारण आज भी याद करते हैं। इनका व्यक्तित्व विराट व अनुपम है। बेहतर संस्कार देकर बच्चे को समाज में उदाहरण बनाना नारी ही कर सकती है। नारी सम्माननीय है।

05- बच्चों को संस्कारित करने में महिलाओं की अहम भूमिका- यशोदा

अनुदेशक यशोदा का कहना है कि महिलाएं दुनिया की आधी आबादी का हिस्‍सा हैं।वे किसी भी मामले में पुरुषों से कम नहीं हैं।समाज की प्रगति में जितना बड़ा योगदान पुरुषों का है,उतना ही महिलाओं का भी है। बच्चों को नैतिक शिक्षा के संस्कारों के साथ बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में कला के माध्यम से भी संस्कारित किया जा रहा है।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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