अपराधललितपुर

● सरस्वती आराधना का पर्व बसंत ऋतु ● युवाओं में उत्साह का संचार करता है बसंतोत्सव-

● खुशनुमा मौसम का पर्व है बसंत पंचमी-

प्रस्तुति-शिक्षक पुष्पेंद्र कुमार जैन
ललितपुर 

भारत उत्सवों का देश है और यहाँ हर उत्सव अलग प्रकार का है। बसंत पंचमी बसंत ऋतु का उत्सव है।जिसके आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। शिक्षाविद् इस दिन मां सरस्वती की पूजा करके उनसे और अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। तो कलाकार, कवि या लेखक,गायक या वादक,
नाटककार,नृत्यकार सभी इसदिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं। साहित्यकारों के लिए बसंत प्रकृति के सौन्दर्य और प्रणय के भावों की अभिव्यक्ति का अवसर है तो वीरों के लिए शौर्य के उत्कर्ष की प्रेरणा है। बसंत पंचमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती देवी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।पुरातन युग में इस दिन राजा सामंतों के साथ हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुँचते थे।वहाँ विधिपूर्वक पूजा की जाती थी और देवताओं पर अन्न की बालियाँ चढ़ाई जाती थीं।सर्दी ने अपनी चादर समेट ली है।मौसम अंगड़ाई लेने लगा है।शिशिर झोले में सारा कोहरा भरकर चल दिया है।बसंत के स्वागत में प्रकृति का कण-कण खिलने लगा है। पेड़-पौधों, फूलों पर बहार, खेतों में सरसों का चमकता सोना,गेहूं की सुडौल बालियां,आम के पेड़ों पर लदे बौर ऋतुराज के अभिनंदन में नतमस्तक हो रहे हैं।मौसम सुहाना हो गया है। न अधिक गर्मी है न अधिक ठंड।पूरे वर्ष को जिन छै:ऋतुओं में बांटा गया है उनमें बसंत मनभावन मौसम हैं।अनादिकाल से ही ऋतुएँ  आमजनों को आकर्षित करती आयी हैं।तभी तो ऋतु के अनुसार व्रत-त्यौहार मनाने की परंपराएं चली आ रही हैं।चंद्र की गणना के अनुसार बसंत की शुरुआत माघ शुक्ल पंचमी से मानी जाती है।इस तिथि को सरस्वती का अवतरण हुआ था। पीत वस्त्र धारण कर पीत भोजन सेवन कर बसंत का स्वागत आज भी इसी दिन से होता है।बसंत ऋतु में मुख्य रूप से रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है।वहीं मंदिरों में फाग उत्सव होने लगे हैं।राग बसंत व होलिया गायी जाती हैं। महाशिवरात्रि,रंगपंचमी,शीतला सप्तमी के अलावा चैत्र नवरात्रि में घट स्थापना,नव संवत्सर आरंभ,
गुड़ी पड़वा,रामनवमी,चौती दशहरा,महावीर जयंती आदि त्योहारों मनाये जाते हैं।बसंत में मौसम न ज्यादा ठंडा होता है और न गर्म,जो कार्यक्षमता बढ़ाता है। रचनात्मक,कलात्मक कार्य अधिक होते हैं।सृजन क्षमता बढ़ जाती है।ऋतुराज बसंत का बड़ा महत्त्व है। इसकी छटा निहारकर जड़-चेतन सभी में नव-जीवन का संचार होता है। सभी में अपूर्व उत्साह और आनंद की तरंगें दौड़ने लगती हैं।स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ऋतु बड़ी ही उपयुक्त है।इस ऋतु में प्रात:काल भ्रमण करने से मन में प्रसन्नता और देह में स्फूर्ति आती है।स्वस्थ और स्फूर्तिदायक मन में अच्छे विचार आते हैं।यही कारण है कि इस ऋतु पर सभी कवियों ने अपनी लेखनी से लेखन कार्य प्रारंभ किया।सृजनकर्ताओं की लेखनी भी बासंती यौवन पर खूब चली है।महाकवि कालिदास का ऋतु वर्णन तो अमर ग्रंथ है ही,अन्य कवि भी बसंत के गुणगान के लिए उत्साहित रहे हैं। संभवत:अन्य ऋतुओं की अपेक्षा बसंत पर लेखन ज्यादा हुआ है।यथा “यौवन के मद में मदमाती नवयौवना आम बौराकर हुए बासंती,मौसम ने ली अंगड़ाई- आयी बसंत ऋतु आई।” बसंत श्रृंगार की ऋतु है।इस मौसम में फसलें पकने लगती हैं।बसंत में उर्वरा शक्ति अर्थात् उत्पादन क्षमता अन्य ऋतु की अपेक्षा बढ़ जाती है।प्रकृति यौवन पर होती है।वृक्ष अपने पुराने पत्तों का झाड़ नववसन धारण करते हैं। विविध प्रकार के फूलों से वृक्ष लदने लगते हैं।इन दिनों बोगनवेलिया,टेसू
(पलाश),गुलाब,कचनार,कनेर के फूल लगने लगे है। ऋतुओं का परिवर्तन दो माह में होता है।सूर्य के शायन भ्रमण से ऋतुओं की गणना की जाती है।बसंत में पुराने पत्ते झड़कर नए पत्ते आ जाते हैं।मौसम सुहावना मादकता लिए होता है।विद्यार्थियों के लिए भी यह त्योहार बहुत आनंददायक होता है।इस पर्व पर विद्यालयों में सरस्वती पूजा होती है और शिक्षक विद्यार्थियों को विद्या का महत्त्व बताते हैं तथा पूरे उल्लास के साथ पढ़ने की प्रेरणा देते हैं।बसंत पंचमी युवाओं में उत्साह का संचार करता है।
सुभद्रा कुमारी चौहान की उक्त पंक्तियाँ-

“फूली सरसों ने दिया रंग।
मधु लेकर आ पहुंचा अनंग।
बसु-बसुधा पुलकित अंग-अंग।
हैं वीर वेश में किंतु कंत।
वीरों का कैसा हो बसंत।।”

बसंत पंचमी का उत्सव आते ही पृथ्वी का कण-कण पुलकित होने लगता है।जीवन में नये संचार का आगाज शुरू होता है।सम्पूर्ण देश में बसंतोत्सव का पर्व बडे ही धूमधाम से मनाया जाता है।बसंतोत्सव हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा को प्रदान करके हमें नई उमंग पाने की प्रेरणा देता है।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
#Timesnowbundelkhand

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