राष्ट्रीय बालिका दिवस विशेष-(24 जनवरी) ● आत्म निर्भर बेटियाँ समाज की धरोहर, बनेगी भारतीय संस्कृति का गौरव – ● दोनों घरों को रोशन करती बेटियाँ
“बेटी के प्यार को कभी आजमाना नहीं।
वह फूल है, उसे कभी रुलाना नहीं।।
पिता का तो गुमान होती हैं बेटियाँ।
जिन्दा होने की पहचान होती हैं बेटियाँ।।”
(ललितपुर) राष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व बेला में करूणा इंटरनेशनल की आयोजित गोष्ठी में महिलाओं व बेटियों ने कहा कि भारत देश में अनेक विदुषी नारियों ने जन्म लेकर देश का स्वाभिमान बढ़ाया है। प्राचीन काल से ही भारत देश में वीरांगनाओं ने जन्म लेकर ज्ञान-विज्ञान,
त्याग,तपस्या,साहस और बलिदान का अतुलनीय उदाहरण पेश किया हैं। गोष्ठी के माध्यम से संदेश दिया कि बेटियों को आत्म सम्मान दिलाने के लिए लोगों को जागरुक होने की आवश्यकता है।तभी बेटी बचाओं,बेटी पढाओं अभियान को सफलता मिलेगी।
01- बेटियों का करें सम्मान-विनीता पांडे
विनीता पांडे का मानना है कि भारत सरकार ने “बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ” अभियान का नारा दिया है। बेटियों को बचाने के लिए केवल घोषणाओं के माध्यम से नहीं बचाया जा सकता है। बेटियों को बचाने लिए लोगों को जागरूक होना पडेगा तभी बेटियाँ बचेंगी। तभी भारत देश का गौरव बढेगा।
02- बेटों की बराबरी कर रहीं बेटियाँ- आकांक्षा
आकांक्षा विश्वकर्मा का मानना है कि वर्तमान समय में बालिकाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं,लेकिन अनेक कुरीतियों की शिकार भी हो रहीं हैं।यह कुप्रथाएं उन्हें आगे बढ़ने में बाधाएं उत्पन्न कर रही हैं।आज हजारों बेटियों को पैदा होने से पहले ही गर्भ में खत्म कर दिया जाता है।
लडकों की बराबरी भी लडकियां कर रही हैं।समाज में जनचेतना करने के लिए ही बेटियों को समाज की मुख्य धारा में जोड़ने के लिए प्रतिवर्ष 24 जनवरी को “राष्ट्रीय बालिका दिवस” मनाया जाता है। जिससे बेटियों को सम्मान मिले।
03- आत्मनिर्भर बनें बेटियाँ- संध्या
संध्या कुशवाहा का कहना है कि बालिकाओं की सेहत,पोषण व पढ़ाई जैसे महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि बेटियां आगे चलकर आत्मनिर्भर व सक्षम बन सकें। बेटियों को अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि वे एक बेहतर समाज के निर्माण में योगदान दे सकें।
04- सामाजिक जागरूकता की है आवश्यकता – पलक जैन
पलक जैन का कहना है कि बेटियों के प्रति हो रहे भेदभाव को मिटाना होगा। बेटियों को सम्मान देगें तभी उनका सम्मान होगा। बेटियों को सम्मानित करने के लिए 24 जनवरी का दिन बड़ा ही महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत देश की प्रथम महिला इंदिरा गांधी भारत देश की प्रधानमंत्री बनी थी। इस दिवस को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। बेटियों के सम्मान में यह दिवस बडा ही महत्वपूर्ण है।
05- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ- आरती
आरती सोनी का कहना है कि बालिकाओं के जन्म होने पर उत्सव मनाना चाहिए । पराये धन की मानसिकता का विरोध करें।समाज के लोगों का कर्तव्य है कि वह अपने आसपास एवं पड़ोस की बेटियों के लिए सुरक्षित हिंसा मुक्त वातावरण स्थापित करें। तभी बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ अभियान सफल होगा।
● बेहतर बनायें बेटियों को –
वर्तमान समय में बदलती मानसिकता के कारण हजारों बेटियों को जन्म से पहले ही गर्भ में खत्म कर दिया जाता है। राष्ट्र के विकास में भारतीय नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है।सेना,शिक्षा,अंतरिक्ष का ही क्यों न हों।भारतीय दर्शन में महिलाओं को पुरुषों से भी ज्यादा सम्मान दिया गया है।वर्तमान समय में पुरूष अपना दृष्टिकोण बदलें तो निश्चित ही समाज में समरसता आयेंगी।नारियों का सम्मान भी बढेगा।लिंगानुपात को सुधारने के लिए बेटियों को आत्म सम्मान दिलाना होगा। तभी “बेटी बचाओं,बेटी पढाओं”अभियान की सफलता होगी।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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