उत्तर प्रदेशललितपुर

24 जनवरी-राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष – दोनों घरों को रोशन करती हैं बेटियाँ-

बेटी है अनमोल रत्न,इसे बचाने का करो प्रयत्न- 

प्रस्तुति-शिक्षक पुष्पेंद्र कुमार जैन,
चांदमारी,सिविल लाइन ललितपुर(उ०प्र०)

भारत देश में अनेक विदुषी नारियों ने जन्म लेकर देश का स्वाभिमान बढ़ाया है। प्राचीन काल से ही भारत देश में वीरांगनाओं ने जन्म लेकर ज्ञान- विज्ञान,त्याग, तपस्या,साहस और बलिदान का अतुलनीय उदाहरण पेश किया हैं।गार्गी,अपाला अत्यंत शिक्षित व विदुषी,वैदिक कालीन महिला थी। मीराबाई जिन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत कर दिया था। झांसी की रानी वीरांगना  लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया था।भारतीय वीरांगनाओं में झलकारीबाई का नाम भी अग्रणी है।सन् 1947 में बंटवारे के बाद बांग्लादेश से लाखों शरणार्थी भारत आए और उनकी दीन दशा को देखकर करूणा की मूर्ति मदर टेरेसा का हृदय द्रवित हो उठा था।भारत सरकार द्वारा उन्हें जवाहरलाल नेहरू शांति पुरस्कार से नवाजा गया और पद्मश्री व भारत रत्न पुरस्कार से भी सन् 1980 में नवाजा गया। एवरेस्ट शिखर पर पहुंचने वाली बछेंद्री पाल हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर विजय प्राप्त करने वाली भारतीय महिला थी।रानी अवंतीबाई ने भी ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजाने में प्रमुख भूमिका निभाई थी। भारत कोकिला के नाम से प्रसिद्ध सरोजनी नायडू को भी राष्ट्रपिता महात्मां गांधी जी की दांडी यात्रा में उनके साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।भारत देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को 24 जनवरी को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई गयी थी और  वह 24 जनवरी सन् 1966 से 24 मार्च 1977 तक प्रधानमंत्री पद पर रहीं। प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनने पर 24 जनवरी को राष्ट्रीय “बालिका दिवस “के रूप में घोषित किया गया।देशभर में प्रतिवर्ष 24 जनवरी को “राष्ट्रीय बालिका दिवस” के रूप में मनाया जाता है। 24 जनवरी के दिन इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में भी याद किया जाता है।इस दिन इंदिरा गांधी भारत देश की पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी।इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाता है।भारत सरकार ने वर्ष 2008 से प्रतिवर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी थी। राष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाये इस बात पर भी हमें विचार करने की आवश्यकता है। समाज में बेटियों को सम्मान देने के लिए बालिका दिवस मनाने के लिए देशभर में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। भारतीय समाज में बेटियों की ओर लोगों की चेतना बढ़ाने के लिए एक बड़ा अभियान भारत सरकार द्वारा आयोजित किया जाता है।राष्ट्रीय कार्य के रूप में मनाने के लिए वर्ष 2008 से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाने की शुरुआत हुई। इस अभियान के द्वारा भारतीय समाज में बालिकाओं के साथ होने वाली असमानता को चिन्हित किया गया।इस दिन बालिका शिशु को बचाओ के संदेश के द्वारा और रेडियो स्टेशन, टीवी, स्थानीय और राष्ट्रीय अखबार पर सरकार द्वारा विभिन्न विज्ञापन चलाए जाते हैं। 06- 14 वर्ष तक की उम्र की लड़कियों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के जरिए भारत में बालिका शिक्षा की स्थिति को सुधारा गया है। बालिकाओं की आजीविका को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने स्वयं सहायता समूह बनाए हैं।बालिकाओं को आगे बढाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं को संचालित किया जा रहा है।मैं तो बस यही कहता हूं जिस घर में बेटियाँ होती हैं वह घर हमेशा फूलों की तरह महकता है।वह माता-पिता भी बडे सौभाग्यशाली होते हैं जिनकी बेटियाँ होती हैं। वर्तमान समय में “बेटी-बचाओं
-बेटी पढाओं” अभियान को आगे बढाकर हम बेटियों को शिक्षित करके देश में बेटियों का सम्मान बढायें।हमारे देश की बेटियां अंतरिक्ष में जाकर इतिहास रच चुकी हैं वहीं सेना में भी शौर्य दिखा रही हैं। देश में महिला हर क्षेत्र में पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर देश के विकास में अपनी बराबर की भागीदारी निभा रही हैं। ऐसे में उनके साथ समाज में हो रहा भेदभाव किसी भी दृष्टि से उचित नहीं माना जा सकता है। आज जरूरत है हमें महिलाओं को प्रोत्साहन देने की तभी सही मायने में देश विकास कर पायेगा व राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाना सार्थक हो पायेगा।


“बेटी भार नहीं,आभार है।
बेटी कुदरत की करुण पुकार है। 
आओ बेटी के सम्मान में 
दुनिया में अलख जगाएं
 बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ।”

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड

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