विद्वान ही जैन दर्शन की अमूल्य धरोहर -आचार्य निर्भय सागर आचार्य श्री के सानिध्य दो दिवसीय राष्टीय विद्वत संगोष्ठी का समापन

ललितपुर। जैन अटामंदिर में दिगम्बर जैन पंचायत समिति के तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्ठी वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भयसागर महाराज में के ससंघ सानिध्य में हुआ जिसमें विद्वानों ने जैन दर्शन को विस्तार से बताते हुए वर्तमान में संस्कृति परम्पराओं एवं मूल्यों की रक्षा में पुरानी पद्धतियों को आवश्यक बताया।
संगोष्ठी के शुभारम्भ में पंचायत समिति के पदाधिकारियों द्वारा मंगल कलश की स्थापना की तथा आमंत्रित विद्वानों ने आचार्य श्री के चित्र के सम्मुख दीपप्रज्जवलित किया। श्रमण मुनि शिवदत्त सागर महाराज ने विद्वत संगोष्ठी के औचित्य पर प्रकाश डाला। मंगलाचरण दिगम्बर जैन महिलजा समिति एवं ब्रह्मी सुन्दरी संभाग महिला मण्डल द्वारा किया गया। आचार्य श्री के पादप्रक्षालन का पुण्यार्जन विद्वत संगोष्ठी में आमंत्रित विद्वानों द्वारा किया गया। दिगम्बर जैन पंचायत के अध्यक्ष डा० अक्षय टडया महामंत्री आकाश जैन, मंत्री कैप्टन राजकुमार जैन, मंदिर प्रबंधक अजय जैन गंगचारी, मनोज जैन बबीना द्वारा आमंत्रित विद्वानों को सम्मानित किया गया। विद्वत्त परिषद के उपाध्यक्ष डा सुरेन्द्र भारती ने संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जैन दर्शन में संस्कृति और संस्कारों पर चर्चा कर अपनी मंगलभावना निवेदित की। उन्होने कहा विद्वानों ने जैन दर्शन की अमूल्य धरोहर का संरक्षण किया है उनके द्वारा ही आज जैन धर्म की प्रभावना हो रही है और उसी का परिणाम है कि आज हम सभी जिनवाणी का सरल रूप में रस्सवादन कर रहे हैं। जीवाजी विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अशोक जैन ग्वालियर ने जैनधर्म में विज्ञान की भूमिका पर चर्चा कर अपने आलेख को प्रस्तुत किया। वक्ताओं ने ललितपुर के गौरव शाली धर्मपरायणता का जिक्र किया और इसे विद्वानों की जाननी बताते हुए कहा यहां से निकले विद्वान पूरे देश में जैन धर्म की प्रभावना कर रहे है। संगोष्ठी की संयोजना डा० नीलम शास्त्री ने करते हुए द्रव्य की मीमानसा वैज्ञानिक परिपेक्ष्य में प्रस्तुत की और कहा जैन धर्म निवृत्ति प्रधान धर्म है इसमें मुक्त्ति और उसके कारणों की मीमांसा सांगोपांग बड़ी सुगमता के साथ की गई है।
आचार्य निर्भय सागर महाराज ने विद्वान को जिनवाणी का लाल बताते हुए कहा पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में मानव अपनी संस्कृति परन्पराओं मूल्यों को भूल रहे हैं। आज धर्म गौण होता जा रहा है आधुनिक सुविधाओं ने हमारे जीवन की आलसी बना दिया है। उन्होने कहा विद्वत संगोष्ठी में विद्वान जहां धर्म के विभिन्न पहलुओं पर मंथन करते हैं वहीं उनके सोच से समाज को सकारात्मक भावना का उदय होता है।
संगोष्ठी में अशोक शास्त्री इन्दौर आलोक मोदी, पं० शीतल प्रसाद जैन, सचिन जैन शास्त्री, राजेश जैन शास्त्री, विनीत जैन शास्त्री,वीरेन्द्र जैन शास्त्री, ऋषभ जैन शास्त्री, मुकेश शास्त्री, संघस्थ वहमचारिणी लवली दीदी द्वारा अपने आलेखों को प्रस्तुत किया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतीश नजा, अमित सर्राफ, अखिलेश गदयाना, महेन्द्र जैन मयूर, प्रेमचन्द्र विरधा, पुष्पेन्द्र जैन अनौरा के अतिरिक्त अनीता मोदी, वीणा जैन, उमा जैन, ममता मोहिनी, सिलोचना जैन आदि की उपस्थित्ति उल्लेखनीय रही।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand
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