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दिगम्बरत्व वासना का नहीं उपासना का प्रतीक -आचार्य निर्भय सागर

ललितपुर। वैज्ञानिक संत आचार्यश्री निर्भयसागर जी ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा हमारा देश सहिष्णुता और सर्वधर्म समभाव का धर्म है। दिगम्बरत्व हमारी संस्कृति है और विश्वव्यापी धर्म है। दिगम्बरत्व हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है क्योंकि दिगम्बरत्व वासना का नहीं उपासना का प्रतीक है, दिगम्बरत्व प्रर्दशन का नहीं आत्मदर्शन का प्रतीक है, दिगम्बरत्व आत्म साधना के लिए है साधनों के लिए नहीं।
आचार्य श्री ने कहा दिगंबरत्व से मुक्ति है ब्रह्मा के अंश बनकर नंगे ही जन्मे है लेकिन विषयवासना आने के कारण पर्दे में रहने का भी फरमान है। जैन मुनि का दिगंबर निश्चल, निष्कपट और विषय वासना से रहितहोने का द्योतक है। परमात्मा की प्राप्ति उसे ही होती है जो निश्चल, निष्कपट और वासना से रहित होता है। संत वही है जिसने अपने संसार का अंत कर लिया है। जो सच्चा ज्ञान सच्ची आस्था सच्चा आचरण से युक्त होता है। सच्चे साधु की सेवा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
धर्म सभा के प्रारंभ में सत्तोदय तीर्थ अतिशय क्षेत्र सीरोन अध्यक्ष सतीश जैन बजाज,आनन्द जैन,मनोज जैन,मुकेश जैन,संजय जैन मोदी, विजय जैन लागोंन, नगर पालिका पार्षद आलोक जैन मयूर ने आचार्यश्री को श्रीफल अर्पित कर पाद्प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट किया। जिन्हें दिगम्बर जैन पंचायत के अध्यक्ष डॉ अक्षय टडया, महामंत्री आकाश जैन कैप्टन राजकुमार जैन, सनत खजुरिया,अमित जैन सराफ,आदि ने सम्मानित किया।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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