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*हम कौन थे क्या हो गए हैं…..डी आई जी*

गुरुपूर्णिमा के अवसर पं. बाबूलाल द्विवेदी मानस मधुप के सानिध्य में एक विद्वत/कवि संगोष्ठी का आयोजन होटल आर्यन इन में किया गया।कार्यक्रम के प्रथम सत्र में महर्षि वेदव्यास का पूजन किया गया ।देश भर से आए विद्वान साहित्य साधकों का प्रोफ़े राकेश नारायण द्विवेदी एवं नीरज द्विवेदी द्वारा स्वागत किया गया ! तत्पश्चात आगंतुक विद्वानों द्वारा व्यास जयंती पर अपने विचार व्यक्त करते हुए गुरुपूर्णिमा की सभी को शुभकामनाएँ दी ।विदिशा से आए संस्कृत के विद्वान अखिलेश्वर मालवीय ने कश्मीरी शैव दर्शन के आधार पर गुरु तत्व की व्याख्या की। मुख्य अतिथि पूर्व बेसिक शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश डॉ रवीन्द्र शुक्ल ने कहा कि सामाजिक बदलाव सरकारें नहीं समाज किया करता है। हमारी गुरु परंपरा का दुनिया में विशेष स्थान रहा हम सर्वे भवंतु सुखिनः,एकम सत्,तत्वमसि, जिओ और जीने दो जैसे सूत्रों के प्रतिपादक हैं ; इन सिद्धांतो का ईमानदारी से पालन करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है तभी देश की दिशा में सकारात्मकता आयेगी ।विशिष्ट अतिथि उप पुलिस महानिरीक्षक झाँसी केशव देव चौधरी ने मैथली शरण गुप्त की कविता ‘हम कौन थे क्या हो गए है और क्या होंगे अभी’ को उद्धृत करते हुए कहा कि हो रहे सामाजिक परिवर्तनों को हमे स्वीकार करना चाहिए और इसकी सीमाएं निश्चित करते हुए आगे बढ़ना चाहिए ।विद्वत गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे डॉ जवाहर लाल द्विवेदी ने युवाओं को भारतीय ग्रंथों और उसके मार्गदर्शन सिद्धांतों के पालन की बात कही।
तत्पश्चात आचार्य पंडित बाबूलाल द्विवेदी द्वारा रचित पुस्तक बूढ़े नर ही नारायण हैं का लोकार्पण किया गया । डॉ सुकदेव बाजपेयी डॉ हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर ने इस कृति की विशद विवेचना की और इसमें बूढ़े कौन हैं, इसकी व्याख्या की। विजय प्रकाश सैनी झाँसी,संतोष पटैरिया महोबा,डॉ देवदत्त द्विवेदी बड़ा मलहरा,डॉ राजेंद्र तिवारी टीकमगढ़, डॉ पूरन सिंह निरंजन ललितपुर, राजकुमार शर्मा ,राजेश दुबे, वीरेंद्र त्रिपाठी ओरछा लक्ष्मीनारायण पटैरिया, डॉ राजेश तिवारी मक्खन आदि ने पुस्तक के रचयिता बाबूलाल द्विवेदी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उनकी साहित्य साधना की उपयोगिता और महत्व से परिचय कराया। की ।प्रथम सत्र का संचालन ओमप्रकाश तिवारी ने किया। स्वल्पाहार के उपरांत द्वितीय सत्र में कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता श्रीराम नामदेव काका ने की; सरस्वती वंदना के उपरांत रामानंद जी नंद, प्रभुदयाल श्रीवास्तव ओमप्रकाश तिवारी पूरनचंद गुप्ता वीरेंद्र त्रिपाठी, डॉ देवदत्त,सुदेश सोनी जहीर ललितपुरी,बृजलता मिश्रा झाँसी आदि ने देश की दिशा और दशा पर अपनी काव्य रचनाएँ प्रस्तुत की गोष्ठी का संचालन संतोष पटैरिया महोबा ने किया। कार्यक्रम में सभी आगन्तुक विद्वानों कवियों और समाजसेवियों का उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों और योगदान के लिए कार्यक्रम संयोजक एवं जन सामान्य मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व पुलिस उपमहानिरीक्षक जुगुल किशोर तिवारी द्वारा शाल, श्रीफ़ल एवं प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित किया गया।
स्नेहभोज के उपरांत सत्र का समापन किया गया। कार्यक्रम में अशोक शुक्ला, हिंदी साहित्य भारती के जिला संयोजक विनोद शर्मा,जयशंकर द्विवेदी,अवध बिहारी कौशिक,सम्मर सिंह भगवत दयाल,अवधेश कौशिक,हाकिम सिंह राजपूत,आशीष रावत,सहावेन्द्र प्रताप सिंह ,दुर्गा प्रसाद पाठक,डॉ किरन वाजपेयी,शीलचंद जैन शास्त्री,बृजेश कौशिक ,राकेश शर्मा,भक्तराज सिंह,अनिल तिवारी,अशेष, जगवीर सिंह,पीयूषा,ज्योत्स्ना, गौरव नामदेव, श्यामा द्विवेदी, रानी,जितेंद्र, विश्वास, मनोज तिवारी,धर्मेन्द्र पाठक,ईशान द्विवेदी प्रदीप रिछारिया,मनोज रिछारिया,सुनीता नामदेव,दिव्यांशी,हरिनारायण चौबे,दिवाकर शुक्ला,शिवराज सिंह आदि उपस्थित रहे।
सभी का आभार पूर्व उप पुलिस महानिरीक्षक जुगुल किशोर द्वारा व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति को धर्म के अनुसार चलना चाहिए, पर उसका वातावरण तैयार करना और अधर्म से रक्षा करने का दायित्व राज्य का है।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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