उत्तर प्रदेशधर्मललितपुर

जीवन में धर्मध्यान ही पुण्य का कारण -आचार्य निर्भय सागर जैन अटा मंदिर में सिद्धचक महामण्डल विधान का हुआ शुभारम्भ

ललितपुर। जैन अटामंदिर में वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज ने कहा हमें अपनी आत्मा की पवित्र बनाना चाहिए जिससे परमात्मा अपनी आत्मा में प्रकट हो सके। उन्होने सिद्धों की अराधना की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा जीवन में धर्मध्यान ही पुण्य का कारण है। जहां वोलने से धर्म की रक्षा होती हो, प्राणियों का उपकार होता हो, वहाँ विना पूछे ही वोलना और जहां आपका का हित नहीं हो वहां मौन ही रहना उचित कहा है। उन्होने कहा हमे मानव पर्याय झाडू के समान मिली है इससे हमे अपनी आत्मा रूपों घर के अन्दर पड़ी ईर्ष्या नफरत मोह माया जाल और विषय कषाय रूपी कचरा को बाहर फेंकना होगा। उन्होने कहा जो व्यक्ति दूसरों की निंदा आलोचना करता है वह दूसरों की आत्मा रूपी घर को तो साफ कर रहा है लेकिन अपनी आत्मा रुपी घर में सारा कचरा भर रहा है।

जैन अटा मंदिर में वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज के सानिध्य में सिद्धचक महामण्डल विधान में सिद्धों की आराधना करने का पुण्यार्जन कैलाश चन्द्र मोहित जैन बडेरा ललित रेडियो परिवार को हुआ। विधान के शुभारम्भ पर श्रावक श्राविकाओं ने घटयात्रा निकाली जिसमें महिलाए मंगल कलश लेकर प्रभावना कर रही थी नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए यह यात्रा विधान स्थल पर पहुंची जहां आचार्य श्री के सानिध्य में विधानाचार्य पं संतोष जैन अमृत ने पात्र शुद्धि कर प्रमुख पात्र सौधर्म इंद्र मोहित-नीलम जैन, कुवेर ललित सुभाला जैन, महायज्ञनायक प्रमोद सीमा जैन, ईशान इन्द्र राजेन्द्र सरिता जैन, सातन इन्द्र इन्द्रसेन शिप्रा जैन, माहेन्द्र इन्द्र अनंत श्वेता जैन, श्रीपाल मैनासुन्दरी आलोक सोनम जैन रहे।

इस मौके पर प्रमुख रूम से जैन पंचायत के महामंत्री आकाश जैन, कैप्टन राजकुमार जैन सनत जैन खजुरिया, शीलचन्द अनौरा, अखिलेश गदयाना, कपूरचंद लागौन, मंदिर प्रबंधक अजय जैन मनोज जैन बबीना, मीडिया प्रभारी अक्षय अलया, अमित सराफ, सुरेश बडेरा सिद्धेश्वर जमौरिया, आनंद जैन साइकिल, सुमत बडेरा आदि रहे।

आचार्य श्री ने किया केशलौच

आज प्रातःकाल जैन अटामंदिर में विराजमान वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज ने अपनी सिर दाडी और मूँछ के बालों को अपने हांथों से उखाडकर कंशलोच किए। दिगम्बर साधू की उत्कृष्ठ साधना के अन्तर्गत जैन साधू दो माह से 4 माह के मध्य में नियम से कंशलोच करते हैं इस दिन जैन साधू 48 घंटे का उपवास रखते है। केशलोच की प्रक्रिया के संबंध में आचार्य श्री बताते है कि महिला हो या पुरुष सभी को अपने वालों से मोह होता है वाल अंगार की श्रेणी में आते हैं इसलिए निर्मोही जैन बालों को नहीं रखते और उखाड़ देते हैं।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand

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