
महरौनी, ललितपुर-
परम पूज्य वैज्ञानिक संत आचार्य श्री निर्भय सागर महाराज ससंघ नगर महरौनी के टीकमगढ़ रोड स्थित बड़े जैन मंदिर में विराजमान है।
प्रतिदिन मंगल प्रवचन 8:30 बजे दोपहर 3:00 बजे स्वाध्याय एवं शाम 6:30 बजे शंका समाधान होता है। आचार्यश्री ने आज ललितपुर में चातुर्मास करने की घोषणा की है। ललितपुर से आये समाज के लोगों ने आचार्य श्री की जयकारे लगाकर श्रीफल अर्पण किया। ललितपुर पंचायत समिति के अंतर्गत हो रहे इस चातुर्मास के सभी पदाधिकारीगण आए उन्होंने श्रीफल चढ़ाकर निवेदन किया। आचार्य श्री ने इस अवसर पर कहा कि जहां की समाज पूर्ण श्रद्धा भक्ति पूर्वक गुरु के सामने पूर्ण समर्पण होती है चातुर्मास उन्हीं को मिलता है। चातुर्मास में श्रद्धा भक्ति और समर्पण हो तो चातुर्मास अच्छा होता है। माता के कर्ज को और पिता की कर्ज को उनकी आज्ञा का पालन और विनय सेवा भक्ति से चुकाया जा सकता है। मानव पर्याय पूर्ण यात्रा करने के लिए मिली है। आचार्यश्री ने कहा माता-पिता को खुश नहीं रखने वाली संतान से परमात्मा कभी खुश नहीं होते हैं। आचार्यश्री ने कहा जिंदगी एक अंतर देसी लिफाफा है जो बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था रूपी तीन मोड़ के बाद पोस्ट हो जाता है। जीवन की स्लेट पर कुछ पुण्य की इवारत भी लिखना चाहिए। मोह के पर्दा उठने पर आत्मा के दर्शन होते हैं परमात्मा से मिलन होता है और आत्मा में डुबकी लगाना होता है।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
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