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दुनियां का 9 वां अजूबा- संविदा अवधि समाप्त होने के बावजूद भी अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्रों से समर कैम्प में ली जा रहीं हैं सेवाएं ● परिषदीय विद्यालयों में सफलतापूर्वक संचालित हो रहें हैं समर कैंप की गतिविधियां

● समर कैंप में बच्चे विद्यालयों में आकर विभिन्न गतिविधियों में कर रहें हैं प्रतिभाग

● संविदा अवधि समाप्ति के बावजूद अंशकालिक अनुदेशक, शिक्षामित्रों से ली जा रहीं हैं सेवाएं

● संविदा अवधि नहीं बढी, मानदेय भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान, कम मानदेय में परिवार
चलाना हो रहा है मुश्किल

● समर कैम्प संचालन हेतु अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्रों को “वालंटियर“ का दिया गया है नाम

● अवकाश अवधि में यदि कार्य लिया जा रहा है तो आगे उक्त दिवसों का अतिरिक्त अवकाश दिया जाये

ललितपुर।
वर्तमान में देश में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है।किंतु इसके बाद भी अनुदेशक/शिक्षामित्रों का सरकार भला नहीं कर पा रही है। इसे दुनियां का 9 वाँ अजूबा ही कहेंगें कि जब डबल इंजन की सरकार में संविदा अवधि समाप्त होने के बावजूद भी अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्रों से 21 मई से 10 जून तक चलने वाले समर कैम्प में सेवाएं ली जा रहीं हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार की मंशानुरूप महानिदेशक राज्य परियोजना निदेशक/महानिदेशक, स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के दिशा निर्देशन में प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों/कम्पोजिट विद्यालयों में समर कैंप का सफल संचालन अंशकालिक अनुदेशक/शिक्षामित्रों के द्वारा किया जा रहा है। जनपद ललितपुर में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रणवीर सिंह के निर्देशन में प्रतिदिन समर कैंप में शामिल होकर छात्र-छात्रायें निर्धारित गतिविधियों में प्रतिभाग कर रहे हैं। भीषण गर्मी में 21 मई से 10 जून तक प्रातःकाल 07 बजे से 10 तक चलने वाले इस समर कैंप में प्रातः 08 बजे के बाद तेज धूप निकलने से मौसम गर्म हो जाता है। जब कभी बादल छा जाते हैं तो मौसम अच्छा भी हो जाता है, अच्छा कम और गर्मी का प्रकोप अधिक है। भीषण गर्मी अपना खूब अहसास करा रही है। इस समर कैंप के संचालन के लिए अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्रों को “वालंटियर“ का नाम दिया गया है। दरअसल “वालंटियर“ का हिंदी में अर्थ “स्वयंसेवक या स्वेच्छा से काम करने वाला“ है। समर कैंप करने वाले अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्र “वालंटियर“ हैं। समर कैंप के दौरान वह अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्र नहीं हैं। सम्पूर्णं उ0प्र0 में अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्र मिलकर पूरी तनमयता के साथ समर कैंप को सफल बनाने के लिए प्रयासरत हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालयों एवं कम्पोजिट विद्यालयों में प्रतिदिन समर कैंप आयोजित किये जा रहें हैं जिसमें सफलतापूर्वक निर्धारित गतिविधियां सम्पन्न करायीं जा रहीं हैं। समर कैंप का सफल संचालन अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्र की काबिलयत बताने के लिए काफी है। इसके बाद भी अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्र उपेक्षा का दंश झेल रहें हैं। उन्हें 12 माह का मानदेय दिए जाने, मानदेय वृद्धि किए जाने के सम्बन्ध में सरकार का कोई प्लान नहीं दिख रहा है।

● अंशकालिक अनुदेशक एवं शिक्षामित्र संविदा अवधि-

अंशकालिक अनुदेशकों की संविदा अवधि वर्ष में 11 माह के लिए रहती है। इनका अंशकालिक अनुबंध होने के बाद भी वर्ष 2013 से लगातार विभाग द्वारा पूर्णं कालिक शिक्षक भांति सेवाएं ली जा रहीं हैं। अनुदेशकों को 9 हजार रूपये प्रतिमाह की दर से वर्ष में कुल 11 माह का मानदेय मिलता है जो कि बढती हुई मंहगाई के सापेक्ष बहुत कम है। इसी प्रकार शिक्षामित्रों कों 10 हजार रूपये प्रतिमाह की दर से वर्ष में कुल 11 माह का मानदेय दिया जाता है। आज की बढती हुई मंहगाई में अल्प मानदेय में परिवार चलाना बहुत ही कठिनाइयों भरा दौर है।

● संविदा अवधि समाप्त होने के बाद भी कर रहे कार्य-

अनुदेशक एवं शिक्षामित्रों की संविदा अवधि समाप्त होने के बाद भी उनसे समर कैंप में सेवाएं ली जा रहीं हैं और इनका नाम “वालंटियर“ दिया गया है। 20 दिन संचालित समर कैंप का कुल 6 हजार रूपये मानदेय अनुदेशक/शिक्षामित्रों को दिया जायेगा। अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि 20 दिन विद्यालयों में जाने वाले अनुदेशक/शिक्षामित्र का पेट्रोल का खर्च कम से कम 2 हजार रूपये होगा।यानि 4 हजार रूपये मात्र बचेगें उन्हें। अर्थात 3 सौ रूपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जा रहा है, जबकि आज के समय में 3 सौ रूपये अब मजदूर भी नहीं मिलते हैं। क्या गजब का गणित लगाकर मानदेय दिया जा रहा है। जून माह में संविदा अवधि बिना बढाये हुए सेवायें ली जा रहीं हैं जो कि सरासर गलत है। सरकार/विभाग को यदि अनुदेशक एवं शिक्षामित्रों से सेवाएं लेनी ही हैं तो इनका जून माह का सेवा विस्तार किया जाए एवं जून माह का पूरा मानदेय दिया जाए, मानदेय में वृद्वि की जाए, जिससे कि अपने परिवार का भरण पोषण शिक्षामित्र/अनुदेशक भी सम्मानजनक तरीके से कर सकें। बढ़ती महंगाई में शिक्षामित्र/अनुदेशक अल्प
मानदेय में अपने परिवार नहीं चला पा रहेें हैं।

● समर कैम्प और चुनौतियां-

मई एवं जून माह में भीषण गर्मी पड़ती है यह बात जग जाहिर है। ऐसे मौसम में तपिश भरी गर्मी में घर से निकलना मुश्किल होता है। बीते कई दशकों की बात करें तो परीक्षा होने के बाद तथा परीक्षाफल मिलने के बाद 21 मई से 31 जून तक के लिए विद्यालय बंद हो जाते थे। विद्यालयों में अवकाश होने के बाद शादी विवाह के मांगलिक कार्यक्रमों का शुभारंभ हो जाता है। बच्चे हों या फिर उनके माता पिता शादी विवाह की मांगलिक कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं।
मई-जून माह में भीषण गर्मी के समय प्रातः 7 से 10 बजे तक जिस समर कैंप को सफलतापूर्वक अनुदेशक/शिक्षामित्र संचालित कर रहें हैं, वह समर कैंप इतना भी आसान नहीं हैं। सदियों से यह नियम चले आ रहे हैं जिसमें कि मई माह में परीक्षा होने के बाद बच्चों की छुट्टी हो जाती थी और छात्र-छात्रायें गर्मी में अपने घर पर कामकाज में माता-पिता का हांथ बटाते हैं। मई-जून माह में शादी विवाह आदि के कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं जिनमें माता-पिता के साथ बच्चे भी प्रतिभाग करते हैं। बच्चे अपने मामा, नाना, नाना, नानी के घर भी जाते हैं। वर्ष में गर्मी के दिनों में मिलने वाली छुट्टियों का सभी लोग इंतजार करते हैं उसमें चाहे बच्चे हों या फिर शिक्षक। सभी अपनी सुविधानुसार घूमने -फिरने की योजना बनाकर अपने बच्चों को अपने साथ लेकर घूमने जाते हैं। जिन अनुदेशक/शिक्षामित्रों को सरकार/विभाग योग्य नहीं समझता है,वही अनुदेशक/शिक्षामित्र आज समर कैंप का सफल संचालन कर रहें हैं। फिर आखिरकार सरकार/विभाग संविदा अवधि एवं मानदेय बढ़ाने पर पीछे क्यों हट जाती है।

● इनका कहना है ●

01- अनुदेशक संघ, ललितपुर के जिलाध्यक्ष कमलेश नामदेव कहते हैं कि सरकार संविदा अवधि समाप्त होने के बाद भी काम ले रही है। यदि काम ही लेना है तो संविदा अवधि बढाकर काम लें। मानदेय वृद्वि करें, अल्प मानदेय में अनुदेशक/शिक्षामित्र परिवारों को घर परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि अंशकालिक अनुदेशक का अनुबंध प्रत्येक वर्ष 11 माह के लिए भरा जाता है। अंशकालिक अनुबंध होने के बाद भी विभाग द्वारा पूर्णंकालिक शिक्षक भी भांति कार्य लिया जा रहा है। यदि शिक्षण कार्य विभाग को अधिक अवधि तक लेना तो अनुबंध में बदलाव करें, मानदेय में भी बढोत्तरी की जाये। संविदा अवधि बढ़ाई जाए, मानदेय वृद्धि की जाए, हर वर्ष महंगाई भत्ता दिया जाए। नियमितीकरण की कार्यवाही की जाए।

02- अनुदेशक मुहम्मद जुबैर खान- कहते हैं कि सरकार द्वारा समर कैंप में कार्य लिया जा रहा है यह अच्छी बात है किन्तु मानदेय वृद्वि एवं संविदा अवधि न बढाने से अनुदेशक/शिक्षामित्र दुःखी हैं। उनका कहना है कि सबकी भावनायें होती हैं जब सरकार ने समर कैंप की अग्नि परीक्षा में अनुदेशक/शिक्षामित्रों को झोंक दिया है और अनुदेशक/शिक्षामित्र समर कैंप को सफल बनाने हेतु पूरी निष्ठा के साथ कार्य कर रहें हैं तो ऐसे में सरकार/विभाग को कार्य को देखते हुए संविदा अवधि बढाने/मानदेय वृद्वि हेतु सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। सरकार यदि अवकाश की अवधि में कार्य ले रही है तो आगे अतिरिक्त अवकाश दिया जाये। जीवन के महत्वपूर्णं 11 वर्ष का समय बीत गया। अनुदेशक/शिक्षामित्र खाली हाथ आज भी हैं। आखिरकार सरकार/विभाग कब भला करेगा यह अत्यंत ही विचारणीय प्रश्न है। हमें उम्मीद है कि समर कैंप की सफलता के बाद सरकार कुछ न कुछ अच्छा जरूर करेगी।


03- दीपक सोनी, अनुदेशक, ब्लाक अध्यक्ष, पूर्व माध्यमिक अनुदेशक कल्याण समिति- कहते हैं कि वर्ष 2013 में अनुदेशकों की नियुक्ति हुई थी। उस समय अनुदेशक का मानदेय 7 हजार रूपये था। इसके बाद मानदेय 8470 रूपये हुआ। सरकार ने बढे हुए मानदेय की रिकवरी कर ली। और बाद फिर मानदेय बढाकर 9 हजार रूपये कर दिया। बढती मंहगाई के चलते इतने कम मानदेय में परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है। समर कैंप के दौरान अनुदेशक/शिक्षामित्रों के द्वारा कार्य लिया जा रहा है इन दिनों में अवकाश का कोई प्रावधान नहीं रखा गया है। इन दिनों में अनुदेशकों का अवकाश रहता था, किन्तु समर कैंप में अवकाश भी छीन गया। इस अवधि में किये गये कार्य के बदले आगे इन दिनों का अवकाश दिया जाये। अनुदेशक/शिक्षामित्रों के प्रयास से समर कैंप सफलता की ओर अग्रसर है।


04-शिक्षामित्र विवेक तिवारी कहते हैं कि बुंदेलखंडीय परिवेश में प्रायः मई एवं जून माह में शादी विवाह आदि मांगलिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षक भी इन्हीं कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। छात्रों एवं शिक्षकों में नए सत्र के लिए नई ऊर्जा के लिए अवकाश/आराम आवश्यक है। ऐसे में समर कैंप का आयोजन ठीक नहीं है। शिक्षामित्रों को उनके अधिकार मिले, संसाधनों की उपलब्धता हो। कुछ भी नया करने से पूर्व उस पर गहन चिंतन जरूरी है। संविदा अवधि बढ़ाई जाए, मानदेय वृद्धि की जाए, हर वर्ष महंगाई भत्ता दिया जाए। नियमितीकरण की कार्यवाही की जाए।

05- राज्य अध्यापक पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षक वेदप्रकाश श्रीवास्तव समर कैंप के बारे में कहते हैं कि समर कैम्प को वार्षिक कैलेंडर में शामिल किया जाना चाहिए। विद्यालय में प्रत्येक शनिवार को मध्यावकाश के बाद ये सभी निर्धारित गतिविधियां होनी चाहिए। इससे बच्चों में निरंतरता आ जाएगी और ये प्रयास काफी हद तक सार्थक साबित होंगें। प्रतिदिन की गतिविधि में शामिल होने से बच्चों की रुचि बढ़ेगी। आदत में सुधार होगा। गर्मी में हो रहे समर कैम्प बोझ की तरह है। पेपर होने के बाद गर्मी की छुट्टियों में बच्चे नाना- नानी के यहां जाते हैं, शादी विवाह समारोहों में भी अपने माता-पिता के साथ प्रतिभाग करते है।

06- सरमन लाल, ब्लॉक अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक संघ, ब्लॉक- मड़ावरा कहते हैं कि पुराना सत्र बहुत ही सफल सत्र रहा है, नया सत्र सफल नहीं है पूरी तरह से फेल है। बुंदेलखंड में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। ऐसे में नवीन सत्र का संचालन औचित्यविहीन है। गर्मी के कारण बच्चे भी नहीं आते ऊपर से उपस्थित बढ़ाने का दबाव बनाया जाता है। 21 मई से 30 जून तक विद्यालय बंद हो जाते थे, इस अवकाश की अवधि में बच्चों एवं शिक्षकों के शादी -विवाह आदि के मांगलिक कार्यक्रमों में परिवार के साथ शामिल होने के साथ ही बाहर घूमने जाने के सपने भी साकार होते थे। काम के बाद कुछ राहत भरे पल नई स्फूर्ति पैदा करती है। लेकिन अब हालात बदतर होते जा रहें हैं। विद्यालयों की छुट्टी होते ही समर कैम्प की नई परम्परा प्रारंभ हो गई जिसमें अनुदेशक/शिक्षामित्रों को झोंक दिया गया। समर कैंप या फिर अन्य विभागीय गतिविधियों में यदि अनुदेशक/शिक्षामित्र से कार्य लेना है तो उनका मानदेय बढ़ाया जाए, उनकी संविदा अवधि बढ़ाई जाए। उनका भी परिवार है, बच्चे हैं, महंगाई भत्ता दिया जाए जिससे कि अनुदेशक/शिक्षामित्र भी खुशहाल जीवन जी सकें, तभी सही मायने में रामराज्य का सपना साकार होगा।

पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand

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