
ललितपुर। आचार्य श्री निर्भयसागर महाराज ने जैन दर्शन में गुरुपूर्णिमा की महिमा बताई और कहा गुरु के माध्यम से ही धर्म का बोध होता है। गुरु अपने आप में पूर्ण माँ है यह स्वयं पूर्णिमा शब्द कहता है। सच्चा गुरु वही है जो शिष्य को अनर्थ से बचाए और परमार्थ में लगाए। असंयम से संयम में, भोग से योग में,राग से वैराग्य में, आधुनिकता में ले जाए। गुरु को ब्रह्म इसलिए कहते हैं क्योंकि गुरु ही शिष्य के जीवन का अच्छा सृजन करते हैं।
गुरु ही शिष्य के पापों और दुखों का संहार करते हैं। गुरुपूर्णिमा पर आहारदान श्रावक के लिए श्रेष्ठ दान बताते हुए आचार्य श्री ने कहा इस दिन जो गुरु को आहारदान देता है उसको असीम पुण्य का संचय होता है और पाप धुलते है। आज प्रातःकाल गुरुपूर्णिमा पर पार्श्वनाथ जैन अटामंदिर में आचार्य श्री की अष्टमंगल द्रव्यों से पूजन हुई और पादप्रक्षालन किया गया। इसके उपरान्त आचार्य श्री निर्भयसागर महाराज ससंघ की आहारचर्या हुई जिसमें आचार्य श्री को आहारदान का पुण्यार्जन अनिल कुमार अक्षय अलया परिवार को मिला जहां सैकड़ों की संख्या में श्रावको ने आहार दान कर पुण्य अर्जन किया। आचार्य श्री के दर्शनार्थ आज भारी संख्या में अनेक भक्तगण श्रावक ललितपुर पहुंचे जहां उन्होंने आशीर्वाद ग्रहण किया। गौरतलब रहे कि जैन साधू 24 घंटे में सिर्फ एक बार ही उबला हुआ आहार ग्रहण करते हैं बीच में दूध पानी आदि कुछ भी नहीं ग्रहण करते। जैन मुनि खडे होकर आहारग्रहण करते हैं।
क्योकि मुक्ति के मंजिल वाहन से नहीं पैरों से तय की जाती है। किसी थाली कटोरे में आहार नहीं लेते बरन हाथ की अंजलि बनाकर आहार लेते हैं। गौरतलब रहे ललितपुर नगर में आचार्य श्री निर्भयसागर महाराज का जैन अटामंदिर में चातुर्मास शुरू हो गया है आचार्यश्री संघ में मुनि शिवदत्त सागर महाराज, मुनि सुदत्त सागर महाराज, मुनि भूदत्त सागर महाराज मुनि पदमदत्त सागर महाराज,मुनि वृषमदत्त सागर महाराज, शुल्लक चन्ददत्त सागर महाराज एवं श्रीदत्तसागर महाराज विराजमान हैं जिनके माध्यम से अपूर्व धर्मप्रभावना हो रही है।
पत्रकार रामजी तिवारी मड़ावरा
चीफ एडिटर टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
Times now bundelkhand
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