कार्तिक मास मे महिलाओ के कृष्ण भक्ति ब्रत का आज हुआ समापन,
कार्तिक स्नान करने वाली महिलाओ ने बडे भक्तिभाव से पूजा अर्चना कर ब्रत का किया समापन,
महरौनी, ललितपुर-
पावन मासो मे से एक कार्तिक का महीना स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। जिसमे कार्तिक व्रत का संकल्प लेने वाली महिलाएं पूरे माह स्नान दान कर भगवान योगेश्वर कृष्ण की उपासना करती है। मान्यता है कि जो फल अन्य तीर्थो के स्नान करने से जो फल प्राप्त होता है। बह फल केवल पूरे कार्तिक माह में स्नान व कृष्ण भक्ति के करने से प्राप्त होता है।
इस दिन देव दिवाली भी मनाई जाती है,इस दिन तालाब, सरोवर, नदी में दीपदान करने से पिछले कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं।और मोक्ष को प्राप्त होता है। देवताओं की कृपा का पात्र बनता है। मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। अतः कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा एवं त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
इसी क्रम में कार्तिक व्रत संकल्प लेने वाली महिलाओं का कार्तिक व्रत समापन का दिवस होता है, कार्तिक पूर्णिमा के दिन महिलाएं विभिन्न प्रकार के पकवान बना कर श्री ठाकुर जी को भोग लगाकर व्रत का समापन करती है!
देवयोग से कार्तिक पूर्णिमा पर अधिकांशतया कृतिका नक्षत्र का योग बनता है। जिसमे ब्रती महिलाये अपका अनुष्ठान पूजन कर कृतिका नक्षत्र के गत होने तक जलपान भी ग्रहण नही करती है। इसके बाद ही पारण कर अपना ब्रत खोलती है।और गौ ब्राहमण के भोजन पश्चात एक माह की साधना के बाद अन्नादि भोजन ग्रहण करती है।यह ब्रत पूरे महिने भर का होता है। जिसमे महिलाये अपने पारंपरिक गीतो से भगवान श्री कृष्ण को रिझाने व मनाने के लिये यह ब्रत रखती है।जिसमे गाना बजाना नृत्य आदि कर भगवान की भक्ति मे लीन रहती है।
पत्रकार रामजी तिवारी मडावरा
संपादक टाइम्स नाउ बुन्देलखण्ड
संवाददाता शैलेन्द्र नायक महरौनी